दीरघ
दाग़
निदाघ
नाहिं बिरछ की छाँव
राम जी
अम्बर अगिन झरे !
*
घर से
निकसे
जीव-जहानी,
आग
धूआँ
आंसू की बानी,
बीहड़ यात्रा
अकथ कहानी,
जल बिनु मीन
पंख बिनु पाखी
कैसे अगम तरे,
राम जी,
मानुष अलख मरे !
**
ढाई आखर
अंसुवा-अंसुवा
आहात लहुलुहान करेजवा ,
मन के साँचे
कर्मणा बाँचे
हँसा पहुँचे
मानसरोवर
जहाँ हिमपात झरे,
राम जी
हर-हर गंग हरे !
प्रेम शर्मा
('ज्ञानोदय', सितम्बर, २००३)
दाग़
निदाघ
नाहिं बिरछ की छाँव
राम जी
अम्बर अगिन झरे !
*
घर से
निकसे
जीव-जहानी,
आग
धूआँ
आंसू की बानी,
बीहड़ यात्रा
अकथ कहानी,
जल बिनु मीन
पंख बिनु पाखी
कैसे अगम तरे,
राम जी,
मानुष अलख मरे !
**
ढाई आखर
अंसुवा-अंसुवा
आहात लहुलुहान करेजवा ,
मन के साँचे
कर्मणा बाँचे
हँसा पहुँचे
मानसरोवर
जहाँ हिमपात झरे,
राम जी
हर-हर गंग हरे !
प्रेम शर्मा
('ज्ञानोदय', सितम्बर, २००३)
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