बयाने बादाकश ! - प्रेम शर्मा

इक दीदा-ए तर
इक क़तरा-ए नम,
इक हुस्ने-ज़मीं
इक ख्वाबे-फ़लक
इक जद्दोजहद
इक हक़ मुस्तहक़
मेरी ज़िन्दगी
मेरी ज़िन्दगी...
मेरा इश्क़ है
मेरी शायरी,
मेरी शायरी
शऊर है,
ज़मीर है,
गुमान है,
ग़ुरूर है,
किसी चाक गिरेबाँ
ग़रीब का,
किसी दौलते-दिल
फ़क़ीर का,
मैं जिया तो अपने ज़मीर में
मैं मिटा तो अपने ज़मीर में.
मैं कहूँ अगर
तो कहूँ भी क्या?
मैं तो बादाकश,
मैं तो बादाकश!



प्रेम शर्मा

काव्य संकलन : प्रेम शर्मा

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
दो कवितायेँ - वत्सला पाण्डेय
ब्रिटेन में हिन्दी कविता कार्यशाला - तेजेंद्र शर्मा
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी