कविता में कवि-मन दिखाई देना चाहिए- लीलाधर मंडलोई

    24 फरवरी, 2013, नयी दिल्ली - विनोद पाराशर
dialogue    सिरीफोर्ट आडिटोरियम के नजदीक वरिष्ठ चित्रकार अर्पणा कौर की ’एकेडमी आफ फाइन आर्ट एण्ड लिटरेचर' में 'डायलाग्स' कार्यक्रम के अन्तर्गत, 23 फरवरी की शाम, एक कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में प्रतिष्ठित व नवोदित 30 से अधिक कवि व कवियित्रियों ने ’बेटियों’ पर केन्द्रित अपनी कविताएं पढ़ी।
    कार्यक्रम की अध्यक्षता-आल इंडिया रेडियो के महानिदेशक श्री लीलाधर मंडलोई ने की। उन्होंने इस अवसर पर महाकवि निराला जी की भाव-पूर्ण रचना ’सरोज-स्मृति’ के कुछ अंश पढकर सुनाये। कार्यक्रम के संयोजक श्री मिथिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि समकालीन कविता में’बेटियों’ने अपनी जगह कैसे बनाई है?आज हमें यह देखना है। ‘ईश्वर’ शीर्षक से उन्होंने अपनी कविता भी पढ़ी। मंच-संचालन का उत्तरदायित्व संभाला,दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर सुधा उपाध्याय ने ।उन्होंने बेटियों के प्रति अपने भाव,कविता में इस प्रकार प्रकट किये -
बेटियां स्वयं शुभकामनाएं होती हैं
     घर के श्वेत श्याम आंगन को
     फागुन में बदल देती हैं

     पढी गयी कविताओं के भाव में बेटियों के प्रति प्रेम, भय, शंका, उनके पालन-पोषण के प्रति लोगों की दोहरी मानसिकता तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना, सराहनीय था। कुछ नवोदित कवि/कवियित्रियों की कविताओं के भाव तो अच्छे थे, लेकिन कविता-पाठ की कला से अनजान होने के कारण, वे अपनी कविता के मर्म को श्रोताओं तक नहीं पहुँचा पाये। फिर भी,उनके प्रयास की सराहना तो की ही जानी चाहिए-ताकि उनका मनोबल बढ सके और वे कविता के प्रस्तुतीकरण में भी सुधार ला सकें। इस बात को नवोदित रचनाकारों को समझना होगा।
     लीलाधर मंडलोई ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में-पढी गयी कविता पर,टिप्पणी करते हुए कहा कि - कविता लिखना और उसे पढना-दोनों अलग-अलग बाते हैं। हमें कविता लिखने के साथ-साथ,उसके पाठ का भी अभ्यास करना चाहिए। कविता से प्रेम करिये,उसके मन को भी पढिये। उन्होंने कहा कि अखबार की खबर और कविता में फ़र्क होता है। पढी गयी कुछ कविताओं में आवेश तो था, लेकिन तरलता नहीं थी। कविता में कवि-मन दिखाई देना चाहिए।
     जिन कवि/कवियित्रियों ने इस कार्यक्रम में अपनी कविताएं पढीं,उनमें से कुछ के नाम हैं- विभा मिश्रा,अंजू शर्मा, रुपा सिंह, शोभा मिश्रा, शैलेश श्रीवास्तव, वंदना गुप्ता, कोमल, विपिन चौधरी, ममता किरन, संगीता शर्मा, अर्चना त्रिपाठी, शौभना, अर्चना गुप्ता, विनोद पाराशर, भरत तिवारी 'शजर', अजय ’अज्ञात’, लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, उपेन्द्र कुमार, शाहिद, श्री कान्त सक्सेना, राजेश्वर वशिष्ठ, गोकुमार मिश्रा,  देवेश त्रिपाठी
    फोटो: भरत तिवारी

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

  1. आयोजन तो सार्थक था ही...मंडलोई जी,मिथिलेश जी ,लक्ष्मी जी सान्निध्य एवं सुधा जी के संचालन ने कार्यक्रम को अभूतपूर्व ऊँचाई दीं....राजेश्वर जी, सुधा जी ,विपिन जी, भरत जी , भाई शारिक, की कविताएँ विशेषकर अच्छी लगीं,. बधाई एक अच्छे आयोजन एवं रपट के लिए...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. त्रिपाठी जी,सफल आयोजन के लिए तो मिथिलेश जी व उनकी पूरी टीम बंधाई की पात्र है। हां आपकी बंधाई यदि रपट के लिए भी है-तो उसे मैं ले लेता हूं। शब्दांकन पर प्रकाशित करने का श्रेय भाई भरत तिवारी जी का है।

      हटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
ट्विटर: तस्वीर नहीं, बेटी के साथ क्या हुआ यह देखें — डॉ  शशि थरूर  | Restore Rahul Gandhi’s Twitter account - Shashi Tharoor
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
Hindi Story: दादी माँ — शिवप्रसाद सिंह की कहानी | Dadi Maa By Shivprasad Singh
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी