एक नाम से बढ़कर जीवन अनुभव होता है
एक ही नाम तो कितनों के होते हैं
नाम की सार्थकता सकारात्मक जीवन के मनोबल से होती है
हवाओं का रूख जो बदले सार्थक परिणाम के लिए
असली परिचय वही होता है ...
पर मांगते हैं सब सांसारिक परिचय
यह है - एक छोटा सा परिचय मेरा आपके बीच
रश्मि प्रभा
बेहतर है मुझे भूल जाओ !!!
मैं बुद्ध असत्य, मोह, भोग, दुःख
![Jeanne Hebuterne: Amedeo Modigliani Jeanne Hebuterne: Amedeo Modigliani](http://4.bp.blogspot.com/-BtjRtuxYjDE/USrUfZEZaYI/AAAAAAAAAzY/hXsUC2hULlA/s1600-rw/Amedeo+Modigliani+(3).jpg)
राजकुल से था
इस आसक्ति से विरक्त
एक तलाश में
मैं भिक्षाटन पर निकला
वह सूक्ष्म केंद्र
जो विराट के मध्य है
मेरा लक्ष्य बना
अपने ध्यानावस्थित क्षणों में
मैं उस सूक्ष्म की परिक्रमा करता रहा
तब तक ......... जब तक मैं स्वयं से अलग नहीं हो गया
........
शनैः शनैः एक उच्चारण शोर बन गया
'बुद्धं शरणम् गच्छामि'
मेरे स्वरुप को असत्य, मोह और भोग का मार्ग बना दिया गया
![Cypress Trees And Houses: Amedeo Modigliani Cypress Trees And Houses: Amedeo Modigliani](http://1.bp.blogspot.com/-wweuXRJOmRk/USrUgbMdKBI/AAAAAAAAAzw/js4V1yUG_Y4/s1600-rw/Amedeo+Modigliani+(6).jpg)
अपने प्रश्नों से मुक्त होने के लिए
मुझे माध्यम बना लिया !!!
.....
मैं लुप्त हो गया
अपनी आत्मा के परिवेश से भी
विराट में स्थित सूक्ष्म से
मैं बुद्ध
तुम सबों की सजावट से मुक्ति मांग रहा हूँ
सूक्ष्म का विराट विस्फोट हो
उससे पूर्व
बेहतर है मुझे भूल जाओ !!!
तुम वह फूल हो जो सूखकर खंज़र बन जाता है
हमारे पास देने को शब्द ही सहीहै तो...
तुम्हारे पास तो सिर्फ नफरत है
जिसे तुम किसी को दे नहीं सकते
हाँ- अपनी विकृति को उजागर करने में
तुम उसे सरेआम कर सकते हो !
तुम क्या जानोगे रिश्तों की परिभाषा
या उनकी मर्यादा
तुमने तो सबके प्यार के बदले
केवल अपना विरोध ही दिया है .
तुम नहीं जानते
जान ही नहीं सकते
कि प्यार करनेवाले
आशीष देनेवाले
ऐसी दुर्गंधों की परवाह नहीं करते
क्योंकि सब दिन होत न एक समान...
तुम्हारी नफरत
तुम्हारी चाह
तुम्हारी वे दबी भावनाएं है
जिनकी चिंगारियां
ऊँगली उठाना-सबसे आसान तरीका है
यह इतना आसान है
कि बिना चाहे तुम भी इसके निशाने पर हो सकते हो !
तैश में यह कहना भी आसान है कि 'परवाह नहीं'
पर यह समझना मुश्किल है
कि बेपरवाही देखकर
कोई तुम्हारी तरह गुर्राता नहीं...
तुम क्या किसी की इज्ज़त करोगे ?
इक आह के साथ
ईश्वर ने तुमको इस सुख से वंचित कर दिया है
क्योंकि तुम वह फूल हो
जो सूखकर खंज़र बन जाता है
और स्नेहिल रिश्तों पर प्रहार करता है ...!
भक्ति और प्रेम
भक्ति और प्रेम![Portrait of a Girl: Amedeo Modigliani Portrait of a Girl: Amedeo Modigliani](http://3.bp.blogspot.com/-HkLlk5AP-hE/USrUfOwN5VI/AAAAAAAAAzU/Ebbwvh2Vq1U/s1600-rw/Amedeo+Modigliani+(2).jpg)
यूँ तो है अन्योनाश्रय संबंध
पर है कहीं सूक्ष्म बंध !
भक्त के लिए हरि अनंत
प्रेम के लिए हरि सर्वस्व
अनंत में भक्त क्ष्रद्धा से झुका होता है
एकाग्र भाव लिए
प्रेम में प्रेम एकाकार होता है
जीवन की हर दिशाओं में मिश्रित
सृष्टि का विम्ब होता है
भक्त का रूप एक
प्रेम में जीवन के सारे तत्व
और रस
भक्त रास के आगे नतमस्तक
प्रेम रास में लीन
भक्ति अवस्था
प्रेम सार
भक्त भवसागर से मुक्त
![Modigliani Boy: Amedeo Modigliani Modigliani Boy: Amedeo Modigliani](http://1.bp.blogspot.com/-e9Ci4MQHN6s/USrUfL2yLMI/AAAAAAAAAzQ/dw_JYMIGl4U/s1600-rw/Amedeo+Modigliani+(1).jpg)
भक्त अकिंचन
प्रेम समर्पण ....
भक्ति मीरा
प्रेम राधा
बात एक ही
फर्क है फिर भी ....
कुछ लोग लिखते नहीं
कुछ लोग लिखते नहींनुकीले फाल से
सोच की मिट्टी मुलायम करते हैं
शब्द बीजों को परखते हैं
फिर बड़े अपनत्व से उनको मिट्टी से जोड़ते हैं
उम्मीदों की हरियाली लिए
रोज उन्हें सींचते हैं
![Bearded Man: Amedeo Modigliani Bearded Man: Amedeo Modigliani](http://2.bp.blogspot.com/-sYSS7mTp32o/USrUey2UTCI/AAAAAAAAAzI/l2nfKPaqLOI/s1600-rw/Amedeo+Modigliani+(1).jpeg)
पंछियों का आह्वान करते हैं
पर नुकसान पहुँचानेवाले पंछियों को उड़ा देते हैं
कुछ लोग -
प्रथम रश्मियों से सुगबुगाते कलरव से शब्द लेते हैं
ब्रह्ममुहूर्त के अर्घ्य से उसे पूर्णता दे
जीवन की उपासना में
उसे नैवेद्य बना अर्पित करते हैं
.....
कुछ लोग लिखते नहीं
शब्दों के करघे पर
भावों के सूत से
ज़िन्दगी का परिधान बनाते हैं
जिनमें रंगों का आकर्षण तो होता ही है
बेरंग सूत भी भावों के संग मिलकर
एक नया रंग दे जाती है
रेत पर उगे क़दमों के निशां जैसे !...
चित्र: बीसवीं शताब्दी के प्रसिद्ध चित्रकार अमेदेओ मोदिल्यानी
1 टिप्पणियाँ
बहुत सुंदर !
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