
दहशतगर्दी का यह वाकया खुफिया तंत्र की नाकामी है या खतरे की सूचना होने के बावजूद एहतियाती कदम न उठाने का नतीजा है? इस हमले ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि केंद्र और राज्यों के समन्वित प्रयासों से ही आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है। पुलिस तंत्र राज्यों के अधीन है, और पुलिस की तत्परता के बगैर कोई भी खुफिया जानकारी मददगार साबित नहीं हो सकती। हैदराबाद में हुए आतंकी हमले पर विरोध जताने के लिए भाजपा ने आंध्र प्रदेश में बंद आयोजित किया और लोकसभा में बहस के दौरान विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि यह जांच होनी चाहिए कि एमआइएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के कुछ दिन पहले दिए भड़काऊ भाषणों से तो इस त्रासदी का संबंध नहीं था। इस तरह की टिप्पणियों से जो भी सियासी हित सधता हो, पर उनसे आतंकवाद की जटिल चुनौती को समझने में कोई मदद नहीं मिलती। अंदेशे की खुफिया सूचना के बावजूद हमले को रोका नहीं जा सका, इससे केंद्र और राज्यों के बीच रणनीतिक समन्वय का अभाव ही जाहिर होता है।
चूंकि केंद्र के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार है, इसलिए विपक्ष के लिए निशाना साधना आसान है। पर एनसीटीसी यानी राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र का गठन क्यों अधर में लटका हुआ है? जबकि नवंबर 2008 के मुंबई हमले के बाद से ही ऐसे तंत्र की जरूरत शिद््दत से महसूस की जाती रही है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी अपना काम कर रही है। अलबत्ता नेटग्रिड यानी खुफिया सूचनाओं के नेटवर्क का काम सुस्त गति से चल रहा है। पर एनसीटीसी का गठन तो राज्यों के एतराज के कारण ही अब तक नहीं हो पाया है। एनसीटीसी पर विरोध जताने वालों में विपक्ष के अलावा कांग्रेस की भी कई राज्य सरकारें शामिल थीं। उनकी दलील थी कि एनसीटीसी को छापा डालने, गिरफ्तार करने जैसे पुलिस के अधिकार देने से राज्यों के अधिकार-क्षेत्र का अतिक्रमण होगा और इस तरह संघीय ढांचे को ठेस पहुंचेगी। उनकी आपत्तियों के मद्देनजर एनसीटीसी के स्वरूप में केंद्र सरकार ने फेरबदल किया। फिर भी, कोई नहीं जानता कि उसका गठन कब होगा। यह बेहद अफसोस की बात है कि संसद में आंतरिक सुरक्षा की खामियों को चिह्नित करने के बजाय परस्पर दोषारोपण की प्रवृत्ति और एक दूसरे को घेरने की फिक्र अधिक नजर आई।
2 टिप्पणियाँ
विषय विशेष पर बौद्धिक चर्चा चले तो इस लेख का प्रकाशन सार्थक होवे..। दिग्गजों की मध्य फलक की पीछे की जानकारी मिली| ओम जी, कुलदीप जी, अमिताभ जी और सुनीता जी आप सभी का आभार... धन्यवाद! :)
जवाब देंहटाएंविषय विशेष पर बौद्धिक चर्चा चले तो इस लेख का प्रकाशन सार्थक होवे..। दिग्गजों की मध्य फलक की पीछे की जानकारी मिली ओम जी, कुलदीप जी, अमिताभ जी और सुनीता जी तथा शब्दांकन संपादक आप सभी का ... धन्यवाद! :)
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