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एक पराधीन राष्ट्र की सबसे बड़ी और आधुनिक चेतना राष्ट्रवाद ही होगी - प्रियंवद | Renaissance - Priyamvad
लोकतंत्र के नाम पर लोकतंत्र का सैद्धांतिक संहार - कृष्णा सोबती |  Carnage of democracy in the name of democracy - Krishna Sobti
संसद का बदलता स्वरूप - श्वेता यादव | Changing Nature of Parliament - Sweta Yadav
हैदराबाद , खुफिया तंत्र की नाकामी - जनसत्ता
वक्त रहते - जनसत्ता, चौपाल - भरत तिवारी
कृष्णा सोबती  'नए  साल की देहरी पर'
सियासी भंवर : भरत तिवारी
अदम गोंडवी: जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे

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कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
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