विश्वनाथ प्रसाद तिवारी बने साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष

नई दिल्ली, 18 फरवरी।
The famous poet, literary critic and writer Vishwanath Prasad Tiwari is appointed as the new president of the Sahitya Academy. He would be  12th president of Sahitya Academy. It is the first time, when a Hindi author has received this distinction. Vishwanath Tiwari was working as executive chairman after the death of former president Sunil Gangopadhyay .    सुपरिचित कवि और आलोचक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को सोमवार को यहां सर्वसम्मति से साहित्य अकादेमी का अध्यक्ष चुना गया। वे अकादेमी के अध्यक्ष बनने वाले हिंदी के पहले साहित्यकार हैं। अध्यक्ष चुने जाने के बाद तिवारी ने कहा कि सभी भारतीय भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं और सभी भाषाओं के समकालीन साहित्य को अनुवाद के जरिए बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा, यह जरूरी है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य की पहचान दूर-दूर तक बने।
   सोमवार को हुई साहित्य अकादेमी की सामान्य परिषद की बैठक में विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को अकादेमी का 12वां अध्यक्ष चुना गया। इसके अलावा कन्नड़ के प्रसिद्ध लेखक, कवि और फिल्म निर्देशक चंद्रशेखर कंबार अकादेमी के उपाध्यक्ष चुने गए। तिवारी और कंबार का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। इस मौके पर हिंदी परामर्श मंडल के संयोजक सूर्य प्रसाद दीक्षित चुने गए।
   अकादेमी के रवींद्र भवन सभागार में हुई सामान्य परिषद की 77वीं बैठक में बोर्ड के 86 सदस्यों में से 79 सदस्य उपस्थित थे। उन्होंने तिवारी को निर्विरोध अकादेमी का अध्यक्ष चुना। कंबार भी निर्विरोध चुने गए। साहित्य अकादेमी के पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध बांग्ला कथाकार सुनील गंगोपाध्याय का 23 अक्तूबर 2012 को दक्षिण कोलकाता स्थित उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। इसके बाद से अकादेमी के उस वक्त के उपाध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी बतौर कार्यकारी अध्यक्ष काम कर रहे थे। साहित्य अकादेमी की स्थापना 12 मार्च 1954 में की गई थी। इसके पहले अध्यक्ष देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे, जो 1954 से 1964 तक अकादेमी के अध्यक्ष रहे। पहले उपाध्यक्ष डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे, जो 1954 से 1960 तक इस पद पर रहे।
   तिवारी ने अपने कक्ष में मिलने आए पत्रकारों से बड़ी विनम्रता से कहा कि वे साहित्य अकादेमी के अब तक अध्यक्ष रहे तमाम भारतीय भाषाओं के शीर्ष साहित्यकारों के पदचिह्नों पर चलने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा, उनका प्रयास होगा कि अकादेमी के जरिए पिछड़े और दूरदराज क्षेत्रों की प्रतिभाओं को सामने लाया जाए। इससे पहले अकादेमी के उपाध्यक्ष और उसके पहले हिंदी परामर्श मंडल के सदस्य रहे तिवारी ने अपने कार्यकाल में सारी भाषाओं को साथ लाने के अपने प्रयासों से हिंदी को लेकर फैले भ्रम और शंकाओं को दूर करने की कोशिश की। उनकी कोशिश के सकारात्मक नतीजे सामने आए होंगे, इसका संकेत इस बात से मिलता है कि सामान्य परिषद के 46 सदस्यों ने अध्यक्ष के रूप में उनके नाम का प्रस्ताव किया। हिंदी भाषा का पहला अध्यक्ष बनने पर तिवारी ने कहा कि इससे उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
   कवि-आलोचक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का जन्म 1940 में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद में हुआ। तिवारी के सात कविता संग्रह, शोध और आलोचना की 11 पुस्तकें, यात्रा संस्मरण, साक्षात्कार आदि की चार पुस्तकें प्रकाशित हैं। ‘दस्तावेज’ जैसी महत्त्वपूर्ण पत्रिका के संपादन के अलावा उन्होंने 14 पुस्तकों का संपादन भी किया है। तिवारी की रचनाओं के अनुवाद ओड़िया, पंजाबी, मलयालम, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तेलुगु, कन्नड़, उर्दू के अलावा अंग्रेजी, रूसी और नेपाली भाषा में भी हुए हैं।
   दो जनवरी 1937 को जन्मे चंद्रशेखर कंबार कन्नड़ भाषा के प्रतिष्ठित कवि, नाटककार, फिल्म निर्देशक और लोक-साहित्यविद हैं। ज्ञानपीठ और साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित कंबार कन्नड़ विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति हैं। वे वर्ष 1996 से 2000 तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के अध्यक्ष भी रहे। कंबार के 25 नाटक, 11 काव्य-संग्रह, पांच उपन्यास और 16 शोध ग्रंथ प्रकाशित हैं।
साभार : जनसत्ता

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