बीमार कर सकती है टिप्पणी - श्याम सखा 'श्याम'

हरियाणा साहित्य एकडेमी के अध्यक्ष कथाकार, गज़लकार व कवि श्याम सखा 'श्याम' जो  पं लखमी चंद पुरस्कार, छ्त्तीस गढ़ सृजन सम्मान, अम्बिका प्रसाद दिव्य रजत अलंकरण, कथा बिम्ब-कथा पुरस्कार मुम्बई और तक़रीबन ३० अन्य सम्मान से पुरस्कृत है. वो एक एम.बी; बी.एस; एफ़.सी.जी.पी. डिग्री धारक, रोह्तक के प्रसिद्ध डॉक्टर भी है.

समाज मे फैलती बीमारियों को वो अपने लेखन मे कभी गज़ल तो कभी कहानी या कविता के रूप मे सामने लाते रहते हैं.

"बीमार कर सकती है टिप्पणी -सावधान हो जाएं " इसे सिर्फ लेख ना समझें, इसे एक डॉक्टर मित्र की सलाह समझ कर पढ़े तो सबके लिये (समाज के लिये) बेहतर होगा

भरत तिवारी

बीमार कर सकती है टिप्पणी -सावधान हो जाएं - डॉ० श्याम सखा 'श्याम' 

Facebook-socialites-ब्लॉगिंग खुद को अभिव्यक्त करने का अच्छा साधन है, लेकिन हिदुस्तानी आदमी ने इसे टिप्पणीयों का साधन बना लिया है और इसके कुपरिणाम भी आरम्भ हो गये हैं.

मैं चिकित्सक हूं और मैने पाया है कि जो लोग टिप्पणी पाने के लिये टिप्पणी करने में जुटे हैं वे न केवल सार्थक अभिव्यक्ति से दूर हो रहे हैं - सार्थक पोस्ट न पढकर केवल टिपियाने में वक्त खराब कर रहे हैं ये लोग बिना पोस्ट पढे टिप्प्णी करते हैं और एवज में ऐसी ही टिप्पणी पाते हैं, इसका उदाहरण आप एक विगेट से जो यह दर्शाता है कि आपके ब्लॉग पर लोग average वक्त कितना बिता रहे हैं इससे लग जाता है।

टिप्पणी  लेने देने के नुकसान अब स्वास्थ्य पर भी दिखने लगे हैं

जो लोग लाइफ़ स्टाइल बिमारियों से पीड़ीत हैं जैसे ब्लडप्रेशर,मधुमेह,अस्थमा,पेप्टिक अल्सर,अनिद्रा ,एन्गजाइटी.अवसाद या डिप्रेशन जैसे मानसिक रोग उनकी बिमारियां बढ जाती हैं . पहले से अधिक दवा लेनी पड़ रही है,

अत: आप को आगाह किया जा रहा है टिपियाने को बिमारी न बना कर इसे भी सार्थक अभिव्यक्ति का साधन ही बनाए

इस बिमारी के लक्षण


  1. पोस्ट करने के तुरन्त बाद भाग-भाग कर ब्लॉग पर आना कि कितनी टिप्पणी आईं.

  2. किसी खास व्यक्ति की टिप्पणी न आने पर उदास हो जाना-ऐसे समय मे आपका ब्लड प्रेशर बढ़ा मिलेगा.

  3. किसी पोस्ट पर कम टिप्पणी आने पर उदास व चिड़्चिड़ा हो जाना

  4. मनपसन्द टिप्पणी न आने पर उदासी चिड़चिड़ापन

  5. नेगेटिव टिप्पणी आने पर गुस्सा होना

  6. किसी ने आपकी रचना की कमी बतला दी तो पहले नाराज होना,फ़िर या तो उसके ब्लॉग जो आपका पसन्ददीदा ब्लॉग रहा था जाना छोड़ देना या जाना पढ़ना मगर टिप्पणी न करना-यह भी अपने आप में एक हीनभावना से ग्रस्त होना ही है जो आगे चलकर मानसिक अवसाद रोग का कारण बनेगा - अच्छी रचना पर कंजूसी न करें खुलकर टिप्पणी करें

  7.  इस रोग का सबसे भयंकर लक्षण है बेनामी anonymous या नकली व्यक्ति बनकर चुभती टिप्पणी करना-इससे जहां एक और टिप्पणी पाने वाले को अवसाद ग्रस्त कर रहे हैं ,वही आप खुद को मानसिक अवसाद की ओर धकेल रहे हैं
आप तो इस तरह गलत तरीके से टिप्पणी के व्यसन addiction से बचे और कुंठाग्रस्त होने से बचें।पसन्दीदा ब्लॉग पढे अच्छा लगे तो सार्थक क्रियात्मक टिप्पणी से नवाजें अन्यथा पचड़े में न पड़े, पोस्ट अच्छी न लगे  तो कतई टिप्पणी न करें न अच्छा बता बांस पर चढाए न बुरा कह कर किसी का दिल दुखाएं।

कई ब्लाग आप को सम्मानित करने हेतु बचकाने निरर्थक सवालों  के जवाब पूछते हैं उस में समय बरबाद न करें।

इसी तरह आपके कमेन्ट पर बहस में उल्झाने वाले लोग मिलेंगे उन से कतराकर निकलें।

दुनिया के सबसे प्रभावी मनस-शास्त्र गीता का अनुसरण करें यानि कर्म करें फल [टिप्पणी ] की इच्छा में न पड़े।

एक टिप्पणी भेजें

4 टिप्पणियाँ

  1. लेख निसंदेह सटीक है ।

    शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  2. :-)

    बहुत बढ़िया...
    चेताने का शुक्रिया

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  3. हा हा हा हा । सावधान कर दिया आपने वैसे मुझे लगता है कि मैं भी धीरे धीरे इसका शिकार होता जा रहूं लेकिन आज से ही नहीं अभी से ही खुद को उबार लूंगा मुझे विश्वास हे।

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
वैनिला आइसक्रीम और चॉकलेट सॉस - अचला बंसल की कहानी
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
दमनक जहानाबादी की विफल-गाथा — गीताश्री की नई कहानी
Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
ब्रिटेन में हिन्दी कविता कार्यशाला - तेजेंद्र शर्मा
दो कवितायेँ - वत्सला पाण्डेय