
दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज के पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर वर्तिका नंदा, एक सौम्य और सशक्त पत्रकार, चिंतक, कवयित्री और मीडिया शिक्षक हैं साथ ही अपराध पत्रकारिता में एक सुस्थापित नाम है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्यूनिकेशन, नई दिल्ली में तीन साल तक एसोसिएट प्रोफेसर रही वर्तिका ने अपनी पीएचडी 'बलात्कार और प्रिंट मीडिया की रिपोर्टिंग को लेकर प्रस्तुत की है।
प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा की प्रसार भारती के नवीनीकरण पर बनाई हाई-प्रोफाइल कमेटी की वे सदस्य हैं। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और दिल्ली पुलिस की महिला अपराध शाखा में मीडिया सलाहकार भी हैं।
वर्तिका नंदा की कर्मठता उनके कार्य और जीवन के हर क्षेत्र में नज़र आती रही है। लेकिन इस दफ़ा उन्होंने जैसे अपने ही बनाये रिकॉर्ड को तोड़ने की ठानी थी। 'जेल !' दो अक्षर का शब्द लेकिन कितना डरावना ... वहाँ जा कर, कैदियों के साथ वक़्त बिताना आसान नहीं है।... और ये तब और कठिन हो जाता है जब आप उनमे से ऐसी प्रतिभाएं तलाश करना चाहते हों, जो स्वयं में होने वाली प्रतिभा को खुद भूल चुके हों।
तिहाड़ में, कविता लिखने वाली महिला क़ैदी तलाशने की सोचना, उस सोच को पूरा करना और उनकी कविताओं के तिनके जोड़-जोड़ कर संग्रह प्रकाशित करने के लिए वर्तिका को जितनी भी बधाई दी जाये कम है।
बहरहाल "तिनका तिनका तिहाड़" के विमोचन में मैं नहीं पहुँच सका, बहुत दुःख हुआ। इसी बीच ये ख्याल आया कि क्यों ना संग्रह से जुड़ी बातों को एक जगह एकत्र कर दूं नतीज़ा आप के सामने है - जिसमे शामिल है ☛ वर्तिका नंदा से ऋचा अनिरुद्ध की बातचीत, ☛ वर्तिका और संग्रह, ☛ कुछ कवितायेँ, ☛ कुछ वीडियो/रेडियो, ☛ कुछ तस्वीरें और कहाँ-कहाँ 'तिनका तिनका तिहाड़' चर्चा में है (यहाँ से बीबीसी तक)। पुस्तक को ऑनलाइन खरीदने के लिंक भी हैं।
अंत में इतना कहूँगा कि 'तिनका तिनका तिहाड़' एक ज़रूरी किताब है, होनी चाहिए आप के पास। और यदि इससे जुडी कोई और जानकारी चाहिए हो तो sampadak@shabdankan.com पर मेल भी कर सकते हैं।
भरत तिवारी
तिहाड़ में, कविता लिखने वाली महिला क़ैदी तलाशने की सोचना, उस सोच को पूरा करना और उनकी कविताओं के तिनके जोड़-जोड़ कर संग्रह प्रकाशित करने के लिए वर्तिका को जितनी भी बधाई दी जाये कम है।
बहरहाल "तिनका तिनका तिहाड़" के विमोचन में मैं नहीं पहुँच सका, बहुत दुःख हुआ। इसी बीच ये ख्याल आया कि क्यों ना संग्रह से जुड़ी बातों को एक जगह एकत्र कर दूं नतीज़ा आप के सामने है - जिसमे शामिल है ☛ वर्तिका नंदा से ऋचा अनिरुद्ध की बातचीत, ☛ वर्तिका और संग्रह, ☛ कुछ कवितायेँ, ☛ कुछ वीडियो/रेडियो, ☛ कुछ तस्वीरें और कहाँ-कहाँ 'तिनका तिनका तिहाड़' चर्चा में है (यहाँ से बीबीसी तक)। पुस्तक को ऑनलाइन खरीदने के लिंक भी हैं।
अंत में इतना कहूँगा कि 'तिनका तिनका तिहाड़' एक ज़रूरी किताब है, होनी चाहिए आप के पास। और यदि इससे जुडी कोई और जानकारी चाहिए हो तो sampadak@shabdankan.com पर मेल भी कर सकते हैं।
भरत तिवारी
ये कविताएं वहां से आई हैं जहां सूरज भी नहीं जाना चाहता ...
वर्तिका नंदा से ऋचा अनिरुद्ध की ''तिनका तिनका तिहाड़'' कविता संग्रह पर बातचीत
तिनका तिनका तिहाड़….
उस बड़ी सी अभेद दीवार के पीछे की जिंदगी के बारे में कभी सोचा आपने ?….आप न जाने कितनी बार उसके पास से होकर गुज़रे होंगे लेकिन उसके अंदर कैद लोगों के दिन कैसे गुज़रते होंगे, ये ख्याल कभी आया मन में ? ….मैं बात कर रही हूं जेल की। जहां हज़ारों ज़िंदगियां कैद होती हैं.। या तो इंसाफ की या फिर मौत की राह तकते जिनके दिन रात बीतते हैं। कुछ अपने किए की वजह से वहां होतीं है तो कुछ किसी और के किए की सज़ा भुगतने….वजह जो भी हो, वो ज़िंदगी आसान तो नहीं होती होगी…..

वर्तिका ने अपने इसी काम को आगे बढ़ाते हुए तिहाड़ की दीवारों और सलाखों के पीछे कैद महिलाओं तक एक सुझाव भेजा…कविताएं लिखने का…मन में जो कुछ है उसे कागज़ पर उड़ेल देने का…अपनी आप-बीती, विचार, द्वंद को कविता के ज़रिए व्यक्त करने का। और कई महीनों की मेहनत, महिला कैदियों को सुनने समझने के बाद जो सामने आया वो है एक अद्भुत कविता संग्रह- तिनका तिनका तिहाड़… मैंने वर्तिका से बातचीत की….
ऋचा अनिरुद्ध
ऋचा - तिनका तिनका तिहाड़.ये सोच कहां से आई कैसे आई
वर्तिका - मेरी किताब "थी हूं रहूंगी " घरेलू हिंसा पर पहला कविता संग्रह था जिसको लिखने के दौरान मुझे महसूस हुआ कि घरेलू हिंसा से पीड़ित ज़्यादातर महिलाएं बोल ही नहीं पातीं। या तो वो तिल तिल कर मर जाती हैं या आत्महत्या कर लेती हैं या जेल पहुंच जाती हैं। मैं ये नहीं कहूंगी कि सारी महिलाएं फंसाई जाती हैं लेकिन पुरुषों के मुकाबले महिला अपराधियों की संख्या बहुत कम होती है और कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं जो उन्हें अपराध करने पर मजबूर कर देते हैं। मैं उन महिलाओं के सुनना और महसूस करना चाहती थी। शुरू में तो वो महिला कैदी अपनी बात कह ही नहीं पाती थीं लेकिन धीरे धीरे उनमें उत्साह आने लगा
ऋचा - लेकिन आपने आखिर में ४ महिला कैदियों की ही कविताएं चुनीं…
वर्तिका - मुझे ऐसा लगा कि इन चारों ने इन कविताओं को जिया था और इनके जीने की सबसे बड़ी ताकत कविता ही है। जो किताब में आखिरी कविता मौन है वो बहुत ताकतवर कविता है। मैं हमेशा कहती रही हूं कि एक महिला की सबसे बड़ी ताकत, दुख, कमज़ोरी मौन ही है।
ऋचा - निजी तौर पर एक महिला होने के नाते आपके लिए एक बड़ा अनुभव रहा होगा ये किताब तैयार करना

ऋचा - हम कई बार ऐसी महिलाओं की कहानियां सुनते हैं जिन्हें सुन कर बहुत हताशा होती है कि हम इनके लिए कुछ नहीं कर सकते। आपको भी कई कहानियां सुन कर ऐसा लगा होगा...
वर्तिका - हर बार ऐसा होता है। मुझे लगता है कि हर औरत को बार बार टूटना पड़ता है, टूट कर जुड़ना पड़ता है जुड़ कर फिर खड़ा होना पड़ता है। मैॆ जितनी बार इन महिलाओं से मिली मैं उनकी आंखों में नहीं देख पाती थी। और मेरी कोशिश रही कि में उन्हें कोई सलाह न दूं न उनके अपराध पर कोई टिप्पणी करूं। हां उन्होंने अपने दिल की बात कही बार बार कही लेकिन मैंने कभी ये नहीं कहा कि ऐसा क्यों किया, ऐसा नहीं करना चाहिए था या ऐसा भी तो किया जा सकता था । मैंने सिर्फ उनको सुना।
ऋचा - ये किताब लेते वक्त किसी को क्या उम्मीद हो
वर्तिका - ये किताब एक साधना है । मैं जो भी लिखती हूं, सरस्वती को ध्यान में रख कर लिखती हूं लक्ष्मी को नहीं। इसलिए इस किताब से जो भी आमदनी होगी वो सामाजिक काम में आएगी। लोग इस किताब को इसलिए पढ़ें क्योकि ये कविताएं वहां से आई हैं जहां सूरज भी नहीं जाना चाहता….
तिनका तिनका तिहाड़ एक बेहद संवेदनशील किताब है। ऐसी किताब जो जब आपके हाथ में आती है तो आपकी रूह को झकझोरे बिना हटती नहीं . . . ऋचा अनिरुद्ध

दुख से उपजी कविताएं किसी भी व्याकरण से आगे होती हैं...
वर्तिका और ‘तिनका तिनका तिहाड़’ (जेल में सिमटी महिलाओं का अनूठा काव्य संग्रह)
एक तिनका
जेल नंबर 6, तिहाड़, दिल्ली। पिन कोड 110064। इस पते पर कोई खत लिखना नहीं चाहता। इस गेट के बाहर सांसारिक सुख ठिठके रहते हैं। बाहर सड़क से गुजरते लोगों को अक्सर इस बात का भान तक नहीं होता होगा कि अंदर एक दूसरी दुनिया पल रही है जहां से आसमान भी अलग दिखता है और सितारे भी।
तिनका तिनका तिहाड़ ... अख़बार और खबरें
☛ Hindustan Times Tihar prisoners publish collection of poems☛ अमर उजाला महिला कैदियों ने लिखा 'तिनका-तिनका तिहाड़'
☛ Times of India Vartika Nanda at a musical day for women prisoners in Tihar
☛ The Hindu Out of bounds
☛ Mid Day Tihar Jail's true tales
☛ Deutsche Welle जयपुर में तिनका तिनका तिहाड़
☛ नवभारत टाइम्स 'तिनका तिनका' तिहाड़ का विमोचन
☛ हिंदुस्तान सलाखों के पीछे से आती आवाजें
☛ दैनिक भास्कर पढ़ें, तिहाड़ में सजा काट रही चार महिलाओं की दर्दनाक कहानियां
☛ बीबीसी (BBC) तिनका तिनका तिहाड़...
Team - Tinka Tinka Tihar
Left to Right
Vartika Nanda, Mondira Moitra, Vimla Mehra, Rinchen Ghosh, G. Sudhakar,
Back row - Harshyla Singh, Abhineet Singh
Translation to English : Mondira
Chief Designer (book) : Abhineet
4 टिप्पणियाँ
निश्चय ही सुन्दर किताब होगी.....बहुत ही मर्मस्पर्शी कविताएँ है...शुभकामनाएं और बधाई वर्तिका जी को !!
जवाब देंहटाएंअनुलता
सबसे बडी बात समाज से छुटे उस हिस्से को देखना और फिर महसूसना और फिर सहेजने की पुरजोर कोशिश करना एक संवेदनशील ह्रदय ही कर सकता है ………वर्तिका जी को बधाई………कोशिश करेंगे किताब पढने की।
जवाब देंहटाएंबद्ध पंखों की खरखराहट
जवाब देंहटाएंसंतप्त मन के ज्वार को इस तरह सहारा देना निश्चय ही बहुत सम्वेदनशील व्यक्तित्व का काम हो सकता है। इस काव्य-संग्रह के लिए शुभ-कामनायें और वर्तिका जी को सादर नमन
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