
कवितायेँ: मीना चोपड़ा
आनन्द मठ

बन्द है मुट्ठी में अब तक
ज्योतिर्मय हो चली हैं
हथेली में रक्खी रेखाएँ।
लाखों जुगनू हवाओं में भर गए हैं
तक़दीरें उड़ चली हैं आसमानों में
सर्दियों की कोसी धूप
छिटक रही है दहलीज़ तक,
और तुम – कहीं दूर –
मेरी रूह में अंकित
आकाश-रेखा पर चलते हुए –
एक बिंदु में ओझल होते चले गए।
डूब चुके हो
जहाँ नियति –
सागर की बूँदों में तैरती है।
मेरी मुट्ठी में बंधी रेखाएँ
ज्योतिर्मय हो चुकी हैं।
तुम्हारी धूप
मुझमें आ रुकी है।
एक सीप, एक मोती
बूँदें!
आँखों से टपकें
मिट्टी हो जाएँ।
आग से गुज़रें
आग की नज़र हो जाएँ।
रगों में उतरें तो
लहू हो जाएँ!
या कालचक्र से निकलकर
समय की साँसों पर चलती हुई
मन की सीप में उतरें
और
मोती हो जाएँ|
अवशेष
वक्त खण्डित था, युगों में !
टूटती रस्सियों में बंध चुका था
अँधेरे इन रस्सियों को निगल रहे थे।
तब !
जीवन तरंग में अविरत मैं
तुम्हारे कदमों में झुकी हुई
तुम्हीं में प्रवाहित
तुम्हीं में मिट रही थी
तुम्हीं में बन रही थी|
तुम्हीं से अस्त और उदित मैं
तुम्हीं में जल रही थी
तुम्हीं में बुझ रही थी!
कुछ खाँचे बच गए थे
कई कहानियाँ तैर रही थीं जिनमें
उन्ही मे हमारी कहानी भी
अपना किनारा ढूँढती थी!
एक अंत ! जिसका आरम्भ,
दृष्टि और दृश्य से ओझल
भविष्य और भूत की धुन्ध में लिपटा
मद्धम सा दिखाई देता था।
अविरल !
शायद एक स्वप्न लोक !
और तब आँख खुल गई
हम अपनी तकदीरों में जग गए।
टुकड़े - टुकड़े
ज़मीं पर बिखर गए।
6 टिप्पणियां
वाह, बहुत सुन्दर कवितायें।
जवाब देंहटाएंBahut dhanywaad Praveen ji
हटाएं***आपने लिखा***मैंने पढ़ा***इसे सभी पढ़ें***इस लिये आप की ये रचना दिनांक 6/01/2014 को नयी पुरानी हलचल पर कुछ पंखतियों के साथ लिंक की जा रही है...आप भी आना औरों को भी बतलाना हलचल में सभी का स्वागत है।
जवाब देंहटाएंएक मंच[mailing list] के बारे में---
एक मंच हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी को समर्पित एक संयुक्त मंच है
इस मंच का आरंभ निश्चित रूप से व्यवस्थित और ईमानदारी पूर्वक किया गया है
उद्देश्य:
सभी हिंदी प्रेमियों को एकमंच पर लाना।
वेब जगत में हिंदी भाषा, हिंदी साहित्य को सशक्त करना
भारत व विश्व में हिंदी से सम्बन्धी गतिविधियों पर नज़र रखना और पाठकों को उनसे अवगत करते रहना.
हिंदी व देवनागरी के क्षेत्र में होने वाली खोज, अनुसन्धान इत्यादि के बारे मेंहिंदी प्रेमियों को अवगत करना.
हिंदी साहितिक सामग्री का आदान प्रदान करना।
अतः हम कह सकते हैं कि एकमंच बनाने का मुख्य उदेश्य हिंदी के साहित्यकारों व हिंदी से प्रेम करने वालों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है जहां उनकी लगभग सभी आवश्यक्ताएं पूरी हो सकें।
एकमंच हम सब हिंदी प्रेमियों का साझा मंच है। आप को केवल इस समुह कीअपनी किसी भी ईमेल द्वारा सदस्यता लेनी है। उसके बाद सभी सदस्यों के संदेश या रचनाएं आप के ईमेल इनबौक्स में प्राप्त करेंगे। आप इस मंच पर अपनी भाषा में विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे।
कोई भी सदस्य इस समूह को सबस्कराइब कर सकता है। सबस्कराइब के लिये
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सभी कविताएं भाव पू्र्ण....आभार
जवाब देंहटाएंaabhaar Savan Kumar ji
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