‘मैं जानती हूं, वे (मोदी) एक दिन प्रधानमंत्री बनेंगे’
लक्ष्मी अजय
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बासठ साल की सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षिका जशोदा बेन सियासी दुनिया की उठा-पटक से कोसों दूर हैं। जशोदा जब 17 साल की थीं तब उनकी शादी नरेंद्र मोदी से हुई थी जो आज गुजरात के मुख्यमंत्री हैं।
उन्होंने कभी भी मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या अपने राजनीतिक झुकाव के बारे में नहीं बताया। - लक्ष्मी अजयसत्ता के कोलाहल के केंद्र मोदी की पत्नी जशोदा बेन आज अपनी शांत और छोटी सी दुनिया में खुश हैं। चौदह हजार रुपए की मासिक पेंशन से उनका गुजारा चलता है। वे अपने भाइयों के संग रहती हैं और अपना ज्यादातर समय भगवान की प्रार्थना में बिताती हैं।
अमदाबाद में अपने फैले हुए परिवार के साथ रह रहीं जशोदा बेन हमसे बातचीत करने के लिए तो राजी हो गर्इं लेकिन अपनी तस्वीर देने से साफ मना कर दिया। मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाए जाने के बाद मीडिया में आया यह उनका पहला साक्षात्कार है। उनसे बातचीत के मुख्य अंश को हम अपने पाठकों के साथ साझा कर रहे हैं।
अगर मैं उनकी पत्नी नहीं होती तो क्या आप यहां आकर मुझसे बात करते?
आपकी शादी को कितने समय हो गए। अपनी वैवाहिक स्थिति को किस तरह देखती हैं?
जब मैं 17 साल की थी, तब हमारी शादी हुई। ससुराल आने के बाद मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। लेकिन वे अक्सर मुझसे कहते थे कि मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखनी चाहिए। वे मेरे साथ पढ़ाई पूरी करने की ही बातें किया करते थे। शुरू में वे मुझसे बातें करना पसंद करते थे। यहां तक कि रसोईघर के मामले में भी रुचि दिखाते थे।
क्या आपको कभी यह रिश्ता बोझ नहीं लगा, खासकर जब मीडिया आपसे इस तनावपूर्ण रिश्ते के बारे में सवाल-जवाब करता है? कहीं आपको मीडिया से दूरी बरतने और चुप्पी बनाए रखने के लिए खास निर्देश तो नहीं मिला है?
हम रिश्तों के बेहतर मोड़ पर जुदा हुए थे। हमारे बीच कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ था। अलगाव के बाद हम कभी एक-दूसरे के संपर्क में नहीं आए। मैं मनगढ़ंत कोई भी चीज नहीं बोलूंगी। उनके घर तीन साल रहने के दौरान भी हम तीन महीने से ज्यादा साथ नहीं रहे। उनका घर छोड़ने के बाद से लेकर आज तक हमारी कोई बातचीत नहीं हुई है।
क्या आप नरेंद्र मोदी से जुड़ी खबरों को ढूंढ़ती हैं?
उनसे जुड़ी जो भी चीज मेरे हाथ में आती है मैं उसे जरूर पढ़ती हूं। अखबारों में उनके बारे में छपी सभी खबरों, आलेख को पढ़ती हूं। टेलीविजन पर उनकी सभी खबरों को देखती हूं। उनसे जुड़ी चीजों को पढ़ना मुझे अच्छा लगता है।
अगर वे देश के अगले प्रधानमंत्री बनते हैं और दिल्ली रवाना हो जाते हैं, तब अगर वे आपको बुलाएंगे तो क्या आप उनकी जिंदगी में लौटेंगी? क्या आप उनसे मिलने की कोशिश करेंगी?
मैं कभी भी उनसे मिलने नहीं गई और हम कभी संपर्क में नहीं रहे। मुझे नहीं लगता कि वे मुझे कभी बुलाएंगे। मैं नहीं चाहती की मेरी इस बातचीत से उन्हें किसी तरह का नुकसान पहुंचे। मैं तो बस यही कामना करती हूं कि वे जो भी करें उन्हें उसमें कामयाबी मिले। मैं जानती हूं कि एक दिन वे प्रधानमंत्री बनेंगे।
क्या उन्होंने कभी आपको छोड़ने या शादी तोड़ने के बारे में कहा?
एक बार उन्होंने मुझसे कहा था-मैं पूरे देश की यात्रा करूंगा और वहां जाऊंगा जहां मुझे अच्छा लगेगा। मेरे पीछे आकर तुम क्या करोगी? जब मैं उनके परिवार के साथ रहने के लिए वादानगर आई तो उन्होंने मुझसे कहा कि तुम अपनी ससुराल रहने के लिए क्यों आ गई। अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है, इन चीजों के बजाय तुम्हें अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर लगाना चाहिए। ससुराल छोड़ने का फैसला मेरा अपना था। इस मसले पर हमारे बीच कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ। उन्होंने कभी भी मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या अपने राजनीतिक झुकाव के बारे में नहीं बताया। जब उन्होंने मुझसे कहा कि वे अपनी मर्जी के अनुसार पूरे देश का भ्रमण करना चाहते हैं तो मेरा जवाब था कि मैं भी आपके साथ चलूंगी। हालांकि, उसके बाद विभिन्न अवसरों पर जब भी मैं अपनी ससुराल गई वे वहां मौजूद नहीं थे। उन्होंने वहां आना ही छोड़ दिया था। वे अपना ज्यादातर समय संघ की शाखाओं में बिताते थे। तो, एक समय के बाद मैंने भी वहां जाना छोड़ दिया और अपने पिता के घर लौट आई।
क्या आप आज भी कानूनी रूप से मोदी की पत्नी हैं?
जब भी लोग उनका नाम लेते हैं तो उस पृष्ठभूमि में कहीं न कहीं मेरे नाम का भी जिक्र जरूर होता है। इन चीजों का तो आपको भी पता होगा। क्या आपने मेरे बारे में बिना कोई जानकारी जुटाए मुझे खोज डाला और यहां बातचीत करने आ गए? अगर मैं उनकी पत्नी नहीं होती तो क्या आप यहां आकर मुझसे बात करते?
क्या कभी आपको इस बात का अपमान महसूस होता है कि इन सालों के दौरान उन्होंने कभी आपको अपनी पत्नी के रूप में कबूल नहीं किया है?
नहीं। मैंने इसका कभी बुरा नहीं माना। मेरा मानना है कि उन्होंने वही किया जो किस्मत में लिखा था। वह एक बुरा दौर था जिस कारण ऐसा हुआ। हालात की वजह से उन्हें कभी कुछ कहना पड़ जाता है तो कभी झूठ भी बोलना पड़ता है। मैं अब इन चीजों का बुरा नहीं मानती क्योंकि किस्मत ने तो थोड़ा-बहुत मेरा भी साथ दिया है।
आपने दोबारा शादी क्यों नहीं की?
इस अनुभव के बाद मैं इसके बारे में नहीं सोच सकती थी। मेरा दिल इसके लिए तैयार नहीं हुआ।
पिता के घर लौटने के बाद आपने खुद को कैसे संभाला?
मेरे ससुराल वालों ने मुझे बहुत प्यार से रखा। लेकिन उन्होंने कभी भी मेरी शादीशुदा जिंदगी पर बात नहीं की। मेरे पिता ने मेरी फीस भरी। पढ़ाई जारी रखने के लिए भाइयों ने भी आर्थिक रूप से मदद की। दो साल की उम्र में मैंने अपनी मां को खो दिया था। दोबारा पढ़ाई शुरू करने के दो साल बाद जब मैं दसवीं में थी तो मेरे पिता का देहांत हो गया। हालांकि, दूसरी पारी शुरू करने के बाद मुझे पढ़ाई में आनंद आने लगा। मैंने 1974 में बारहवीं की और 1976 में अध्यापक प्रशिक्षण पूरा किया। 1978 में मैं शिक्षिका बनी।
सेवानिवृत्ति के बाद वक्त कैसे गुजारती हैं?
मुझे पढ़ाने में बहुत आनंद आता था। पहली से लेकर पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को सारे विषय पढ़ाए। इन दिनों मैं सुबह चार बजे उठ कर मां दुर्गा की प्रार्थना में लीन हो जाती हूं। मेरा ज्यादातर समय माता की भक्ति में बीतता है। वैसे तो मैं अपने बड़े भाई अशोक मोदी के साथ उनझा में रहती हूं। लेकिन जब भी मन करता है अपने दूसरे भाई के यहां भी चली जाती हूं जो पास ही ब्राह्मण वादा में रहते हैं। मैं मानती हूं कि मुझे दो बहुत अच्छे भाई मिले हैं जो मेरा पूरा खयाल रखते हैं।
साभार जनसत्ता
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