ग़ज़ल: उसका जीना मुहाल है अब भी - सोनरूपा विशाल Ghazal Sonroopa Vishal


सोनरूपा विशाल

एम.ए (संगीत), एम.ए (हिंदी), पी .एच . डी
आई सी सी आर एवं इंडियन वर्ल्ड कत्चरल फोरम (नयी दिल्ली ) द्वारा गजल गायन हेतु अधिकृत
बदायूँ
विस्तृत परिचय 

किसने कब  क्या बोला है 


हमने  सब   को  तोला  है 

उसकी  रग  रग जानते  हैं 
कब  माशा  कब  तोला  है 

सुख दुःख जिसमे सोते हैं 
दिल  वो  एक हिंडोला  है 

आहट  को  पहचान लिया 
तब    दरवाज़ा  खोला   है 

फ़िक्र  सुकूं  दोनों  हैं साथ 
हमने  जब  सच  बोला  है 



उसको   मेरा  मलाल   है   अब  भी 
चलिए कुछ तो ख्याल  है  अब  भी 

रोज़   यादों   की   तह   बनाता  है
उसका  जीना   मुहाल  है  अब  भी 

तुमने  उत्तर  बदल   दिए  हर  बार 
मेरा   वो  ही   सवाल   है  अब  भी 

जिसने दुश्मन समझ लिया हमको
उससे  मिलना  विसाल है अब  भी 

दफ्न  होकर  भी   साँस   है  बाक़ी 
कोई  रिश्ता   बहाल   है  अब   भी 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
अखिलेश की कहानी 'अँधेरा' | Hindi Kahani 'Andhera' by Akhilesh
समीक्षा: अँधेरा : सांप्रदायिक दंगे का ब्लैकआउट - विनोद तिवारी | Review of writer Akhilesh's Hindi story by Vinod Tiwari