कवितायेँ: स्पर्श के गुलमोहर - संगीता गुप्ता (hindi kavita sangrah)

स्पर्श के गुलमोहर

लाँघना मुश्किल 


अपने चित्रों एवं फिल्मों के लिए विख्यात संगीता गुप्ता के पास निश्चय ही असीम का वरदान है, वे चित्रकार होने के साथ-साथ कवि भी हैं। कला, साहित्य व वृत्त चित्र जैसे बहुआयामी क्षेत्रों में उनकी सक्रियता इस तथ्य को ही इंगित करती है। जीवन में उनकी गहरी आस्था है, विषमताओं से गुजरते हुए भी उनका स्वर सदा सकारात्मक ही रहा है। उनका प्रेम व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं, वह जीवन से जुड़े हर छोटे-बड़े तत्वों तक व्याप्त है। इस संग्रह की कविताएं जीवनोन्मुखी हैं। उल्लास व आनन्द से भरी कविताएँ उनकी जिजीविषा को उनके चित्रों की भांति मूर्त से अमूर्त की ओर ले जाती हैं।

‘‘स्पर्श के गुलमोहर’’ संगीता गुप्ता का छठा काव्य संकलन है। 1988 में प्रकाशित उनके पहले काव्य संग्रह ‘‘अन्तस् से’’ अब तक की रचनात्मक सक्रियता में उनके सरोकार निरन्तर परिपक्व हुए हैं। निश्चय ही यह कवि की रचना यात्रा का एक अहम पड़ाव है।

राजकमल प्रकाशन से शीध्रप्रकाश्य ‘‘स्पर्श के गुलमोहर’’ कविता संग्रह के लिए संगीता गुप्ता को शब्दांकन परिवार की अनंत बधाइयाँ और शुभकामनायें। 


परिचय

कवयित्री, चित्रकार एवं फिल्म निर्माता

जन्म: 25 मई, 1958, गोरखपुर

शिक्षा बी.एसी.सी, एम.ए., एल.एल.बी

प्रकाशित कृतियाँः ‘‘वीव्ज़ ऑफ टाईम’’ (2013) विज़न एण्ड ईल्यूमिनेशन (2009) लेखक का समय (2006) ‘‘प्रतिनाद‘‘ (2005) समुद्र से लौटती नदी (1999) इस पार उस पार (1996) नागफनी के जंगल (1991) अन्तस् से (1988)

उनकी 27 एकल एवं 200 से अधिक सामूहिक चित्रकला प्रदर्शनियाँ आयोजित।

अनुवाद: ‘‘इस पार उस पार’’ बंगला में एंव ‘‘प्रतिनाद’’ अंग्रेजी, जर्मन और बंगला में अनुवादित।

सम्मान पुरस्कार: 2013 - ‘‘नेशनल वूमन एक्सीलेन्स अवार्ड’’ सौजन्य योग कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया और इंटरनेशनल वूमन एक्सीलेन्स अवार्डस ऑरगेनाईजेशन, ‘‘राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’’, ’’वूमेन एचीवर अवार्ड‘‘ सौजन्य इण्डियन कांउसिल फॉर यू0 न0 रिलेशन्स, ‘‘विश्व हिंदी प्रचेता अलंकरण’’ सौजन्य उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन एंव उत्कर्ष अकादमी, कानपुर। 2012 - ‘‘उद्भव शिखर सम्मान’’ सौजन्य उद्भव सामाजिक सांस्कृतिक एंव साहित्यिक संस्थान, दिल्ली। 2005 - ‘‘77वाँ वार्षिक चित्रकला सम्मान’’ सौजन्य ऑल इण्डिया फाइन आर्टस एण्ड क्राफ्ट सोसाईटी, दिल्ली। 1999 - ‘‘हिन्द प्रभा पुरस्कार’’ सौजन्य उत्तर प्रदेश महिला मंच, मेरठ। 1998 - ‘‘69वाँ वार्षिक चित्रकला पुरस्कार’’ सौजन्य ऑल इण्डिया फाइन आर्टस एण्ड क्राफ्ट सोसाईटी, दिल्ली।

सम्पर्क: संगीता गुप्ता, सी-4, टॉवर-10, एनबीसीसी परिसर, न्यू मोतीबाग, नई दिल्ली 110021


हमारे बीच पसरे
सन्नाटे को
पर असम्भव भी नहीं

कभी पुकार कर देखना
या
अपने मौन में ही
सुन सको
तो सुनना
मेरी धड़कन

जानती हूँ
तुम्हारी आँखों की प्यास
गहरी 
पर मेरे
आँसुओं की नदी भी 
कहाँ कभी सूखती 

पलकें झपकाओ तो ज़रा
मेरी नदी 
वहीं कहीं बहती है

तुमने सौंपीं थी
चुपचाप, सबसे चुरा
एक दहकती दोपहर
और मैं
अपनी कविताएँ रोप आई थी
तुम्हारे धधकते मन में
ज़रा अपने में झाँको
देखना 
अग्निफूल खिले होंगे वहाँ
बाँझ तो नहीं थीं
मेरी कविताएँ 

एक पल
कभी ठिठको 
तो अपने पाँव देखना
मेरे स्पर्श के गुलमोहर
अब भी दहकते होंगे वहाँ

बर्फ़-सी सुन्न 
उंगलियाँ
रखना कभी उन पर
और महसूसना
मेरा होना 
सर से पाँव तक



ज़िन्दगी भर

ज़िन्दगी भर
बड़ी शिद्दत से
उस वादे को निभाया
जो कभी किया न था
तुम ने कब जाना
तुम्हें चाहा, सराहा
साँसों में तुम्हारी महक 
चुपचाप जीती रही
बरसों बरस



नन्ही परी

नन्ही परी
ज़रा आँखें खोलो
देखो तो ज़रा 
एक मीठी सुबह
तुम्हारे दरवाज़े पर 
दस्तक दे रही
तुम्हें गले लगाने को 
मचल रही

बर्फ़ सी ठिठुरती हवा 
तुम्हें छू कर
गरमाना चाहती

सूरज किरणों में
तुम्हारी नूरानी हँसी भरने की
प्रतीक्षा कर रहा

धरती तुम्हारे क़दमों को 
चूमना चाहती
आकाश बाँहों में भरना चाहता तुम्हें
और तुम इनसे
बेख़बर सोई हुई हो



पत्थर भी 

पत्थर भी 
पत्थर की आँच से
पिघलते हैं
कभी - कभी

पथराये शरीर के 
भीतर
उनके मन क्या
मोम के बने होते हैं

तुम ने कहा था 
किसी पत्थर में
इतनी आब तो हो 
जो दूसरे पत्थर को 
पिघला दे 

दो पत्थरों के 
मिलने से 
क्या कोई कहानी 
बनती है 
ज़माने भर के पत्थर 
उनके पीछे 
उनकी बात करते हैं
क्या तुम्हें पता है

---

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
थोड़ा-सा सुख - अनामिका अनु की हिंदी कहानी
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل