वर्तिका नन्दा और रश्मि सिंह सिखाएंगी गांव की महिलाओं को पत्रकारिता | Gaanv ki Selfie


वर्तिका नन्दा और रश्मि सिंह सिखाएंगी गांव की महिलाओं को पत्रकारिता | Gaanv ki Selfie

गांव की कहानी, गांव के पत्रकार 

– गांव की सेल्फी

गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिंहा ने दिल्ली में एक समारोह में 'गांव की सेल्फी' नाम की एक नई तरह की पत्रिका का लोकार्पण किया। गैर-सरकारी संस्था साथी संस्था के पर्यावरण दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में जल, जंगल और जमीन से जुड़ी गांव की सेल्फी  के इस अंक को विकास पत्रकारिता की एक मिसाल के तौर पर देखा जा सकता है।


द्वि मासी पत्रिका 'गांव की सेल्फी' का मकसद गांव की महिलाओं को पत्रकारिता के गुर सिखाते हुए उन्हें गांवों को एक आदर्श ग्राम में तब्दील करने की काबिलियत से भरना है। इसकी संपादक रश्मि सिंह और वर्तिका नन्दा हैं और वे दोनों ही भारत के राष्ट्रपति से स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। रश्मि सिंह बिहार के जाने-माने सांसद - साहित्यकार  स्वर्गीय श्री शंकर दयाल सिंह की बेटी हैं और एक प्रशासनिक अधिकारी  हैं जबकि वर्तिका नन्दा दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष हैं।

गांव की सेल्फी  के हर अंक में एक नई अतिथि संपादक रहेंगी और एक नया विषय भी। इस अंक की संपादक मीनाक्षी लेखी हैं। एक प्रभावी वक्ता, वकील और सांसद के तौर पर वे भारतीय सरोकारों पर लगातार चिंता जताती रही हैं। इस अंक को भूमि अधिग्रहण बिल पर केंद्रित किया गया है।  पत्रिका की संपादक रश्मि सिंह और वर्तिका नन्दा का कहना है कि गांव की सेल्फी देश के हर गांव की सेल्फी है और इसका मकसद गांवों में पत्रकारिता की मुहिम चलाते हुए उन चर्चाओं को इस चौपाल में शामिल करना है जिसके लिए मुख्यधारा मीडिया के पास समय ही नहीं है। इसमें गांव की महिलाएं खुद खबर लिखेंगी और पत्रकार के तौर पर मुद्दों पर अपने सरोकार रखेंगी।

गांव की सेल्फी  का फोकस ग्रामीण महिलाओं के जुड़े हुए मुद्दो को सामने लाना और उनमें ग्रामीण पत्रकारिता की अलख जगाना है।


००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
अखिलेश की कहानी 'अँधेरा' | Hindi Kahani 'Andhera' by Akhilesh
समीक्षा: अँधेरा : सांप्रदायिक दंगे का ब्लैकआउट - विनोद तिवारी | Review of writer Akhilesh's Hindi story by Vinod Tiwari
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'