विरोध-के-तरीके का विरोध - भरत तिवारी #SaveIndia Sahitya Akademi #BeOne


जो विरोध करना चाहते हैं उनके अपने-अपने तरीके होते हैं

- भरत तिवारी

जो विरोध करना चाहते हैं उनके अपने-अपने तरीके होते हैं। यह भी देखना होता है कि बिल्ली के गले में घंटी बाँधी किसने-किसने... कोई ये कैसे तय कर सकता है कि विरोध का यह तरीका - अकादमी से मिले सम्मान को वापस करना – विरोध नहीं है ? सम्मान को वापस करना/ न लेना, हमेशा से विरोध जताने का एक तरीका रहा है... वियतनाम के राजनेता ली डुक थो ने नोबल शांति सम्मान लेने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि वियतनाम में असल शांति नहीं थी। बहरहाल हम बाहर क्यों देखें जब हमारे पास अपने महात्मा गांधी हैं जिनके विरोध का तरीका सिर्फ और सिर्फ इस सरीखे का रहा है...


सम्मान-वापसी के विरोधियों को एक बात तो साफ़ करनी होगी कि १. क्या वो सिर्फ तरीके का विरोध कर रहे हैं या फिर २. उसके पीछे लेखक द्वारा बताई गयी मंशा से भी वो असहमत हैं? क्योंकि जो कारण से ही सहमत नहीं हैं उनकी असहमति तो वह असहमति हुई जिसका की विरोध हो रहा है... अब रही बात उनकी जो तरीके को नापसंद कर रहे हैं, उनका यह कहना की जिन्हें अकादमी सम्मान नहीं मिला है वह कैसे विरोध जताएं – समझ नहीं आता, आप विरोध के पक्ष में खड़े हो कर भी विरोध जता सकते हैं, अपना ख़ुद का तरीका ईजाद कर सकते हैं, लेकिन सम्मान-वापसी की हंसी उड़ाना न सिर्फ सम्मान वापस करने वाले का अपमान है बल्कि हर-उस इन्सान का भी जो उनके विरोध के साथ खड़ा है... सनद रहे कि ऐसा करने से आप किसके हाथ मजबूत कर रहे हैं... 

यह तर्क भी हास्यास्पद लगता है – इसके पहले भी तो घटनाएं हुई हैं, तब क्यों नहीं ऐसा किया – मुझे तो यह पहले न किये गए विरोधों के पश्चाताप का बिलकुल उचित समय दिख पड़ता है... है न – देर आये दुरुस्त आये। 

यह समय यों बेवजह की बहस में न ज़ाया कीजिये, इससे पहले कि देर हो जाये हाथ-से-हाथ मिलाइये... विरोध के और तरीके भी निकालिए और मौजूद तरीकों के साथ खड़े रहिये .... वर्ना बोलने के साथ-साथ विरोध-के-तरीके के विरोध की जुबान भी ... ...      

लिखे से सहमत हों तो साझा करियेगा
#SaveIndia Sahitya Akademi #BeOne

००००००००००००००००
nmrk5136

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. किसी भी व्यक्ति के लिए उसको मिला कोई भी पुरस्कार/अवार्ड उसके दिल के करीब होता है, अगर वो उसको लौटा रहा है, यानी उसके दिल के टूटने जैसी कोई घटना घटी है ! इस बात पर कोई तर्क नहीं चल सकता की उसने सिर्फ पुरस्कार लौटाया, पैसे नहीं लौटाए या उस फलाने वजह पर वो चुप था, ढीमकाने वजह पर इतना कहा पर लौटाया नहीं !! वैसे भी एक रचनाकार संवेदनशील होता है, उसके संवेदनशीलता को समझना चाहिए की उसने पुरस्कार लौटाने समय कितना खुद से लड़ाई की होगी............मेरे और से ऐसे हर शख्सियत को नमन बिना ये वजह को जाने हुए की पुरस्कार किस परिस्थिति में लौटाई गयी !!

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
सांता क्लाज हमें माफ कर दो — सच्चिदानंद जोशी #कहानी | Santa Claus hame maaf kar do
मन्नू भंडारी, कभी न होगा उनका अंत — ममता कालिया | Mamta Kalia Remembers Manu Bhandari