रवीन्द्र कालिया बहुत पुराने मित्र थे - अशोक वाजपेयी



रवीन्द्र कालिया बहुत पुराने मित्र थे - अशोक वाजपेयी

रवीन्द्र कालिया...बेहद ज़िन्दादिल, यारबाश, मजाकिया इंसान

- अशोक वाजपेयी

रवीन्द्र कालिया बहुत पुराने मित्र थे। बेहद ज़िन्दादिल, यारबाश, मजाकिया इंसान। 1970 के आसपास मैंने जब ‘पहचान’ सीरीज शुरू की तो वो संभव ही इसलिए हुई कि रवीन्द्र ने अपने प्रेस से बिना कुछ लाभ लिए, लागत पर छपने का सहयोग दिया। उसके चार अंक निकले और 15 युवा कवियों के पहले कविता संग्रह प्रकाशित हुए। बाद में उन्होंने ‘वर्तमान साहित्य’ का एक बहुत महत्वपूर्ण विशेषांक सम्पादित किया जिसमें कृष्णा सोबती आदि की कई कालजयी रचनाएँ प्रकाशित की। उनके संपादन में ‘वागर्थ’ और ‘नया ज्ञानोदय’ में विशेष रूप से कथाकारों की एक बड़ी युवा पीढ़ी को समर्थन, प्रोत्साहन और मंच मिला। वे अपने समय के हिंदी संपादकों में बहुत महत्वपूर्ण रहे। उनकी गर्माहट, विनोदप्रियता और यारबाशी मैं कृतज्ञता पूर्वक याद करता हूँ। 

००००००००००००००००



ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
ऐ लड़की: एक बुजुर्ग पर आधुनिकतम स्त्री की कहानी — कविता
अखिलेश की कहानी 'अँधेरा' | Hindi Kahani 'Andhera' by Akhilesh
Hindi Story: दादी माँ — शिवप्रसाद सिंह की कहानी | Dadi Maa By Shivprasad Singh