अनुराधा बेनीवाल की ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ को राजकमल सम्मान @thethinkinbird



अनुराधा बेनीवाल की किताब ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ को राजकमल सृजनात्मक गद्य सम्मान

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28 फ़रवरी की सुनहरी शाम को इंडिया हैबिटेट सेन्टर के एम्फीथियेटर में राजकमल प्रकाशन ने मनाया अपना 67वां स्थापना दिवस। इस अवसर पर साहित्य जगत की तमाम हस्तियों के साथ-साथ खेल, कला, रेडियो, मीडिया तथा अन्य तमाम महत्वपूर्ण हस्तियों का जमावड़ा रहा। 

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Parents of Anuradha Benival receive the award from Prof Namvar Singh, Vasudha Dalmia and Ashok Maheshwari
इस साल के स्थापना दिवस का सालाना व्याख्यान प्रसिद्ध सांस्कृतिक इतिहासकार वसुधा डालमिया द्वारा ‘कैसा राष्ट्र, किसका राष्ट्र’ पर दिया गया। सभा की अध्यक्षता प्रसिद्ध आलोचक प्रोफ़ेसर नामवर सिंह द्वारा की गई। 

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Author Taslima Nasrin enjoying the evening

हर साल की तरह इस साल भी स्थापना दिवस के कार्यक्रम में राजकमल सृजनात्मक गद्य सम्मान की घोषणा की गई। साल 2015-2016 का सृजनात्मक गद्य सम्मान अनुराधा बेनीवाल की किताब ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ को प्रदान किया गया। इस अवसर पर अनुराधा के पिता कृष्ण सिंह बेनीवाल और माँ सरोज बाला ने सम्मान ग्रहण किया। मंच पर उपस्थित मुख्य अतिथियों द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र के साथ-साथ एक लाख रूपए का चेक प्रदान किया गया। 

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Vasudha Dalmia

गौरतलब है कि अनुराधा फ़िलहाल लंदन में हैं। उन्होंने अपना संदेश रिकॉर्ड कर भेजा था जिसमें उन्होंने सम्मान मिलने की खुशी जाहिर करते हुए यह सम्मान अपनी दादी, पिता और माँ को समर्पित किया। साथ ही किताब लिखते वक्त स्वानंद किरकिरे से मिले प्रोत्साहन के लिए उन्होंने उनका धन्यवाद भी किया। अपने संदेश में एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए उन्होंने सम्मान मे मिले एक लाख रुपये की राशि को, हाल में जाट आंदोलन के दौरान लूट पाट और आगजनी के शिकार हुए लोगों की मदद में देने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने छोटे दुकानदार जिनका बिज़नेस पुरी तरह से नष्ट हो गया उनकी मदद के लिए क्राउड फंडिंग का आह्वान किया। 

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Vasudha Dalmia and Prof Namvar Singh in conversation

स्थापना दिवस के अपने व्याख्यान में वसुधा डालमिया ने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के प्रसिद्ध बलिया भाषण का जिक्र करते हुए अपने भाषण की शुरूआत की जिसमें उन्होंने 19वीं सदीं के औपनिवेशिक भारत में परंपरा के संघटन की विवेचना करते हुए उन कारणों पर चर्चा की जिसमें ‘हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान’ के नारे का इस्तेमाल किस तरह अपने फ़ायदे और नुकसान के अनुसार किया गया। 

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Prof Namvar Singh speaks while Vasudha Dalmia and son Amod's daughter in his lap Ashok Maheshwari listen.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. नामवर सिंह ने कहा कि, “ हिन्दी साहित्य में अबतक तीन लेखकों का यात्रा वृतांत मील का पत्थर साबित हुई है – राहुल सांकृत्यायन (वोल्गा से गंगा), अज्ञेय (अरे यायावर रहेगा याद) और निर्मल वर्मा (चीड़ों पर चाँदनी), इसी कड़ी में चौथी किताब ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ है। एक हरियाणवी लड़की की घुमक्कड़ी की कहनी जो अपनी आज़ादी को भरपूर महसूस करना चाहती है। वो सारी दुनिया घूम लेना चाहती है। “

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Ashok Maheshwari with grand daughter

इस मौके पर राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक श्री अशोक महेश्वरी ने भी एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि इस साल से राजकमल प्रकाशन समूह के पटना और दिल्ली स्थित द़फ्तर अपनी नई बिल्डिंग से कार्य करना प्रारंभ कर देंगे। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में राजकमल प्रकाशन समूह 90 साल से 29 साल के आयु वर्ग के बीच की पाँच पीढ़ियों के लेखकों को साथ लेकर चल रहा है। साथ ही हिन्दी में पाठकों के न होने के रोना न रोकर अपने व्यवस्थित प्रयासों से हमने हिन्दी पाठकीयता का विस्तार किया है। और बेस्ट सेलर की अवधारणा को हिन्दी में प्रामाणिक बनाया है।
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