चे गेवारा से अबू अब्राहम की मुलाक़ात — ओम थानवी


चे गेवारा से अबू अब्राहम की मुलाक़ात — ओम थानवी

राजनीतिक कार्टूनकारी में मुझे अबू अब्राहम से बड़ा नाम तुरंत ध्यान नहीं आता।

— ओम थानवी

 उनकी पंक्तियों और रेखाओं में वक्रता ही नहीं, ऊँचे दरज़े की बौद्धिकता भी थी।

इमरजेंसी के दौर का उनका वह कार्टून किसे ख़याल न होगा जिसमें राष्ट्रपति भवन के नहानघर में नंगे पड़े फख़रुद्दीन अली अहमद अध्यादेश पर दस्तख़त कर कह रहे हैं कि और अध्यादेश हों तो उन पर भी पर भी कर दूँगा, पर उनको (इंदिरा गांधी के हरकारों को) कहो मुझे नहाने तो दो यारो! (भावानुवाद मेरा)!

प्रसंगवश उल्लेख की बात यह है कि 1962 में अबू क्यूबा गए थे। तब वे लंदन के अख़बार 'ऑबजर्वर' में काम करते थे। कार्टून बनाते थे, यात्राएँ करते थे और उनका ब्योरा रेखाचित्रों के साथ शाया करते थे (जैसा आजकल मेरे मित्र उन्नी करते हैं, जो अबू की धारा के ही कार्टूनकार/कलाकार हैं।)

कहते हैं अबू साहब ने हवाना में एक रात तीन घंटे फ़िदेल कास्त्रो के साथ क्लब में बिताए। ऐसा नेट पर मैंने हाल में पढ़ा। पर इसकी पुष्टि का मेरे सामने कोई उपाय नहीं, न फ़िदेल पर उनका बनाया कोई स्केच/कार्टून मिला। लेकिन मुझे इसका प्रमाण ज़रूर मिल गया कि उस यात्रा में अबू अब्राहम चे गेवारा से मिले थे।

हुआ यों कि मैं अपनी चित्रकार बेटी अपरा के साथ लंदन की कला वीथियों की ख़ाक छान रहा था। वहाँ 'ऑबजर्वर' ने बरसोंबरस छपे अपने कार्टूनों की एक प्रदर्शनी आयोजित की थी। उसमें अबू साहब के ढेरों कार्टून और रेखाचित्र शामिल थे।

उन्हीं में कहीं एक रेखाचित्र टंगा मिल गया, जो मैं देखते ही जान गया कि चे गेवारा का है। उस पर अबू ने लिखा था - हवाना 1962 और क़मीज़ की कालर पर चे के संक्षिप्त हस्ताक्षर भी थे।

मैं अब भी जानने को व्याकुल हूँ और हमेशा रहूँगा कि अपनी हवाना यात्रा पर अबू साहब ने क्या कोई संस्मरण लिखा था? ज़रूर लिखा होगा और मिले तो महत्त्वपूर्ण साबित होगा। लेकिन नाइट क्लब में फ़िदेल कास्त्रो से भेंट वाली बात पता नहीं कितनी सच है। मिले होते तो एक रेखाचित्र उनका भी बनाते और बनाते तो वह, चे के रेखांकन की तरह, हमें लंदन वाली प्रदर्शनी में टंगा न मिलता?

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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