'इस साल न हो पुर-नम आँखें' — 2017 की शुभकामनायें — डॉ कुमार विश्वास


Dr Kumar Vishwas Wishes 2017


Dr Kumar Vishwas Wishes 2017 

इस साल न हो पुर-नम आँखें



इस साल न हो पुर-नम आँखें
इस साल न हो पुर-नम आँखें, इस साल न वो खामोशी हो
इस साल न दिल को दहलाने वाली बेबस-बेहोशी हो

इस साल मुहब्बत की दुनिया में, दिल-दिमाग की आँखें हों
इस साल हमारे हाथों में आकाश चूमती पाँखें हों



ये साल अगर इतनी मुहलत दिलवा जाए तो अच्छा है
ये साल अगर हमसे हम को, मिलवा जाए तो अच्छा है

चाहे दिल की बंजर धरती सागर भर आँसू पी जाए
ये साल मगर कुछ फूल नए खिलवा जाए तो अच्छा है

ये साल हमारी कि़स्मत में कुछ नए सितारे टाँकेगा
ये साल हमारी हिम्मत को कुछ नई नज़र से आँकेगा

इस साल अगर हम अम्बर से दुःख की बदली को हटा सके
तो मुमकिन है कि इसी साल हम सब में सूरज झाँकेगा


(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००
nmrk5136

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
टूटे हुए मन की सिसकी | गीताश्री | उर्मिला शिरीष की कहानी पर समीक्षा
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
मन्नू भंडारी, कभी न होगा उनका अंत — ममता कालिया | Mamta Kalia Remembers Manu Bhandari
एक स्त्री हलफनामा | उर्मिला शिरीष | हिन्दी कहानी
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy