रामराज्य में हंसना मना था ! — देवदत्त पटनायक | @devduttmyth



15वीं सदी में संस्कृत में एक बहुत रोचक ग्रंथ लिखा गया। इसका नाम है आनंद रामायण। 

देवदत्त पटनायक



15वीं सदी में संस्कृत में एक बहुत रोचक ग्रंथ लिखा गया। इसका नाम है आनंद रामायण। इसके लेखक के बारे में तो कहीं उल्लेख नहीं लेकिन लोग कहते हैं, यह मूल रूप से वाल्मीकि की रचना है। ऐसा भी माना जाता है कि इसे शोक रामायण से पैदा हुए शोक को कम करने के लिए ही लिखा गया क्योंकि शोक रामायण में सिर्फ राम के दुख और अकेलेपन का वर्णन मिलता है। आनंद रामायण में रामराज्य की महिमा पर काफी जोर दिया गया है।

इसमें एक कहानी है। एक बार राम ने किसी की हंसी सुनी जिसे सुनते ही उन्हें सीताहरण और रावण की हंसी की याद आ गई। उन्हें याद आया कि जैसे ही वह रावण का सिर बाण मार कर काटते, अट्टाहस करता हुआ रावण का दूसरा सिर उग जाता। उन्हें ऐसा जान पड़ता, जैसे रावण उनकी हंसी उड़ा रहा हो। राम इस बात को नहीं समझ पा रहे थे कि रावण तो इस बात से खुश होकर हंस रहा था कि उसका सिर उसके पापी शरीर से अलग हो रहा था। हालांकि इस हंसी ने राम को काफी विचलित कर दिया।

राम ने झुंझला कर अयोध्या में हंसने पर रोक लगा दी। जो हंसता उसे जेल भेज दिया जाता। इसके परिणाम बहुत बुरे हुए। लोगों ने त्योहार मानना, एक-दूसरे से मिलना, गाना-बजाना सबकुछ बंद कर दिया। उन्होंने खेलना और बाजार जाना भी बंद कर दिया। इतना ही नहीं, लोगों ने एक-दूसरे की तरफ इस डर से देखना तक बंद कर दिया कि कहीं हंसी न आ जाए।

चूंकि पूजा-पाठ और त्योहार सब बंद हो गया इसलिए भगवान भी नाराज होने लगे। उन्होंने ब्रह्मा से शिकायत की और ब्रह्मा बरगद के पेड़ के रूप धर कर अयोध्या पहुंचे। जैसे ही एक पेड़ काटने वाला पेड़ के पास पहुंचा, ब्रह्मा ने हंसना शुरू कर दिया। पेड़ की हंसी सुन कर पेड़ काटने वाला भी हंसे बिना नहीं रह सका। उसकी हंसी सुन कर उसके परिवार वाले और दोस्त भी हंसने लगे। धीरे-धीरे यह संक्रामक हंसी राजदरबार तक पहुंच गई और राम खुद हंसने लगे।

राम इससे बहुत झुंझलाए और उन्हें इसकी जांच के आदेश और हंसने वाले पेड़ को काटने के लिए कहा। हालांकि जो भी इस पेड़ के पास जाता उसे अहसास होता कि यह पेड़ तो पत्थर फेकता है। जब राम पत्थर फेकने वाले इस पेड़ के बारे में पता चला तो उन्होंने खुद ही इस हंसने और पत्थर फेंकने वाले पेड़ को काटने का फैसला किया। राम के इस फैसले से डरे हुए ब्रह्मा ने गुरु वाल्मीकि से मदद मांगी।

वाल्मीकि राम के पास गए और बोले, 'आनंद रामायण लिखने का मेरा उद्देश्य ही लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना और गुदगुदाना है। इसके जरिए वह लोगों की जिंदगी में खुशियां लाना चाहते हैं क्योंकि खुशी ही सौभाग्य की देवी लक्ष्मी को आकर्षित करती है। उन्होंने राम को हंसने पर लगाई गई रोक के आदेश को वापस लेने की प्रार्थना की।' उन्होंने राम से कहा, 'आपको क्यों लगता है कि लोग आप पर हंस रहे हैं। आप भगवान होकर भी यह क्यों नहीं समझ पा रहे कि असल में हंसी ही है, जो लोगों को मुक्त करती है। लोगों को हंसने की इजाजत देकर आप उन्हें मुक्त कर रहे हैं। आपको अपने देवत्व पर संशय क्यों है।' महर्षि वाल्मीकि की इन बातों से भगवान राम संतुष्ट हुए और उन्होंने हंसने पर लगाई गई रोक को वापस ले लिया।

— देवदत्त पटनायक
= = = = = = = = =

मोरपंख पहनने से कोई कृष्ण नहीं बनता — देवदत्त पटनायक... विडियो

‘शब्दांकन’ हिंदी की पहुँच को बढ़ाने के लिए ही है। देवदत्त पटनायक से हुई #शब्दांकनटॉक १ इसी दिशा में बढ़ाया गया क़दम है, अमित की पत्रकारिता उनके वृहत-खोजी-दृष्टि-मूल-सवाल हैं और यही कारण है कि अमित मिश्रा के लिए गए इंटरव्यू सबसे अलहदा और रोचक होते हैं।  रिकॉर्डिंग, एडिटिंग, डायरेक्शन आदि मेरी स्वयं की है। रूपा पब्लिकेशन का धन्यवाद , उन्होंने अपने दिल्ली ऑफिस को रिकॉर्डिंग के लिए उपलब्ध किया। अब यह प्रयास आपको क्या दे पाया और #शब्दांकनटॉक 1 के बाद 2,3,4... कैसे होती है, यह आप-ही बता सकते हैं।


(ये लेखक के अपने विचार हैं।
देवदत्त पटनायक का लेख साभार नभाटा)
००००००००००००००००


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
काली-पीली सरसों | ज्योति श्रीवास्तव की हिंदी कहानी | Shabdankan