परेश रावल "ख़ूनी-वक्तव्य" — ऋचा पांडे का ख़त #PareshRawal


अरुंधती रॉय को सेना की जीप में बाँधो बजाय पत्थरबाज के !— परेश रावल

अरुंधती रॉय को सेना की जीप में बाँधो बजाय पत्थरबाज के !

— परेश रावल


असहिष्णु परेश रावलजी ,

यह छोटा-सा पत्र आप से इस्तीफे की दरकार के लिए है। आप लोकतंत्र की जिस सीट पर बैठे हैं — उसके लायक नहीं हैं। अरुंधती रॉय पर आपका बयान न केवल महिला विरोधी है बल्कि लोकतंत्र विरोधी, मानवता विरोधी और सेना विरोधी भी है।

आपकी पार्टी के सभी पात्र भीष्म पितामह की तरह चुप हैं। क्या किसी को आप के इस ख़ूनी-वक्तव्य में कोई आतंकवाद नहीं नजर आया?

इस बयान से पता चलता है कि आपकी सोच से अगर कोई इत्तेफाक नहीं रखता तो आप उसे मार कर दफनाने कि ख़्वाहिश रखते है। आप देश में तालिबानी हुकूमत लागू करवाना चाहते हैं। हम पूछना चाहते हैं कि अगर आप एक औरत से, उनकी सोच से सहमती नहीं रखते तो क्या आप उनके लिए मौत की कामना करेंगे? आपकी फिल्मों में आप अंबेडकर, गाँधी, कृष्ण जैसे महापुरुषों के किरदारों की सीख देते दिखते हैं और असल जिंदगी में आप एक औरत को जीप पर बंधवा कर उसे दरिंदों के सामने फेंकना चाहते हैं।

आपकी पार्टी के सभी पात्र भीष्म पितामह की तरह चुप हैं। क्या किसी को आप के इस ख़ूनी-वक्तव्य में कोई आतंकवाद नहीं नजर आया?

परेश रावल न केवल आप ने देश की हर बेटी का अपमान किया है बल्कि इस बयान से आपने सेना के सम्मान को ज़बरदस्त ठेस पहुंचाई है। क्या आप कहना चाहते हैं कि हमारी भारतीय सेना एक नारी को ढाल बना कर कश्मीर में अपनी सुरक्षा करेगी? आपको अपने इस असम्मानजनक और असंवैधानिक बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए और अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। क्योंकि आप इस देश के चुने हुए प्रतिनिधि हैं और आपका यह बयान आपकी बीमार मानसिकता को दर्शाता है। आप लोकतंत्र के लिए एक खतरा हैं, एक नासूर है, आपको तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।


देश की एक साधारण बेटी


ऋचा पांडे मिश्रा
Richa Pandey Mishra
National Spokesperson-AAP
Twitter: @richapandey


(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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5 टिप्पणियाँ

  1. इस तरह परेश रावल दादा साहब फाल्के अवार्ड के हकदार बन गए...

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  2. क्षमा करें कि कोई तार्किक बात आप ने नहीं की है। सिर्फ़ मूर्खतापूर्ण प्रलाप है। एक पुरुष के स्थान पर एक महिला को बांध देने की सलाह समूचे नारी समाज का अपमान कैसे हो गया?

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  3. Bilkul bandhana hi chahiye anti nationals ko paresh Rawal ne bilkul Thik kaha

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  4. परेश रावल जी का बयान वाकई बुरे टेस्ट में था लेकिन वो उतना ही बुरा है जितना उस लड़के को जीप पे बाँधना. अगर एक लड़के को जीप पे बांधा जा सकता है तो उसी के जैसी सोच रखने वाली स्त्री को क्यों नहीं. मेरे हिसाब से दोनों ही बातें गलत हैं.

    लेकिन अरुन्दती के ऊपर बयान देने से पूरी स्त्री जाती का अपमान हुआ हो ये मैं नहीं समझता. स्त्रीयों की ये ही बातें मुझे समझ नहीं आती. जब एक आदमी पे कुछ होता है तो वो उसी आदमी तक सीमित रहता है लेकिन जब एक स्त्री के लिए कुछ बोला जाता है तो वो पूरी स्त्रियों का मुद्दा बना देती हैं.

    या तो स्त्रीयों को मान लेना चाहिए कि वो आदमियों के बराबर नहीं हैं. और अगर हैं तो उन्हें वैसा व्यवहार करना चाहिए.

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  5. भाजपा अपने छुपे RSS एजेंडे पर काम कर रही है। परेश रावल जैसे नेता समाज को बांटकर वर्षों राज की कामना कामना करते हैं।

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