साहित्य अकादमी ज़िन्दाबाद! — कृष्णा सोबती #KrishnaSobti


साहित्य अकादमी ज़िन्दाबाद! — कृष्णा सोबती

उम्र भर लेखन करने के बाद हम लेखकों को दारूखोरा  गाली कतई सहन नहीं है

— कृष्णा सोबती

व्यंग्य
हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली ज़िन्दाबाद!

फिरोजशाह रोड ज़िन्दाबाद!

साहित्य अकादमी ज़िन्दाबाद!

जिन्होंने अकादमी का डिजाईन बनवाया — वह रहमान साहिब ज़िन्दाबाद!


मगर अकादमी क्या करे?
अकादमी से जेब भरने वाली दारूखोरी लेखक बिरादरी मुरदाबाद!
पुरस्कार की रकम दारू पे उड़ाने वालों मुरदाबाद!

मालूम नहीं सच है कि झूठ अफ़वाह है ज़ोर की कि साहित्य अकादमी की इमारत सांसदों के क्लब में बदली जाएगी। सरकारी संस्थानों को सरकारी सहायता बंद कर दी जाएगी। वह बेधड़क यहाँ न आ सकेंगे। यह आरामज़ादे सुनी-सुनाई पर जीते हैं। अब यह बिल्डिंग नया रूप धारण करेगी — नीचे बेसमेंट तले शौचालय और पेशाबघर बनवा दिया जायेगा। लाइब्रेरी में कीमती जिम बनवाया जायेगा। यह जिम सांसदों की सेहत के लिए लाभदायक होगा। इसके ऊपर का कमरा रिफरैशमेंट-रूम होगा —  इसमें गुनगुने गर्म ठंडेपेय, ताज़े फलों के रस मिलेंगे। संतरे, माल्टा और देशी दारू की मनाही होगी। ऊपर की मंज़िल पर आसन और चाँदी की चौकियाँ होंगी। उसके साथ लगी लांज आरामघर पर आरामदेह गद्दे बिछे होंगे। सबसे ऊपर की मंज़िल पर रेस्तरां जिसमें मांसाहारी शाकाहारी आर्डर दिया जा सकता है। बिल्डिंग के दो सभागार मिलाकर एक बड़ा कर दिया जायेगा। वैदिक वैचारिक चेतना के एकत्व को उभारने के लिए ही यह सभागार खुलेगा।

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
वैनिला आइसक्रीम और चॉकलेट सॉस - अचला बंसल की कहानी
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
दमनक जहानाबादी की विफल-गाथा — गीताश्री की नई कहानी
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
जंगल सफारी: बांधवगढ़ की सीता - मध्य प्रदेश का एक अविस्मरणीय यात्रा वृत्तांत - इंदिरा दाँगी
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान