वर्णिका (Varnika Kundu) के साथ जो हुआ वह हमारी किसी भी बेटी की कहानी हो सकती है। क्योंकि वह एक आईएस ऑफिसर की बेटी है तो हो सकता है, अपना पीछा करने वालों — जिनमें से एक राज्य बीजेपी अध्यक्ष का बेटा है — से मुकाबला करने कि उसे थोड़ी अधिक शक्ति मिलती हो। मीडिया ट्रायल करने की हमारी कोई इच्छा नहीं है लेकिन जब आरोपों को कमज़ोर बनाया जाए, जब पुलिस स्टेशन पर पार्टी कार्यकर्ताओं का जमावड़ा हो, जब आरोपी को फौरन जमानत मिल जाये, जब सोशल मीडिया पर पीड़िता को नीचा दिखाने का अभियान चलाया जाये, तब यही संदेह होगा कि राजनीतिक दबाव पूरे ज़ोर पर है। और इसलिए बीजेपी आलाकमान को यह निश्चित करना होगा कि बिना किसी वीवीआईपी-दबाव के मामले की निष्पक्ष जांच हो। आखिरकार, प्रधानमंत्री बार-बार बेटी बचाओ की बात करते हैं: देखियेगा, यह मुद्दा बेटा बचाओ न बनने पाए।
1 टिप्पणियाँ
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (09-08-2017) को "वृक्षारोपण कीजिए" (चर्चा अंक 2691) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'