वर्णिका (Varnika Kundu) के साथ जो हुआ वह हमारी किसी भी बेटी की कहानी हो सकती है। क्योंकि वह एक आईएस ऑफिसर की बेटी है तो हो सकता है, अपना पीछा करने वालों — जिनमें से एक राज्य बीजेपी अध्यक्ष का बेटा है — से मुकाबला करने कि उसे थोड़ी अधिक शक्ति मिलती हो। मीडिया ट्रायल करने की हमारी कोई इच्छा नहीं है लेकिन जब आरोपों को कमज़ोर बनाया जाए, जब पुलिस स्टेशन पर पार्टी कार्यकर्ताओं का जमावड़ा हो, जब आरोपी को फौरन जमानत मिल जाये, जब सोशल मीडिया पर पीड़िता को नीचा दिखाने का अभियान चलाया जाये, तब यही संदेह होगा कि राजनीतिक दबाव पूरे ज़ोर पर है। और इसलिए बीजेपी आलाकमान को यह निश्चित करना होगा कि बिना किसी वीवीआईपी-दबाव के मामले की निष्पक्ष जांच हो। आखिरकार, प्रधानमंत्री बार-बार बेटी बचाओ की बात करते हैं: देखियेगा, यह मुद्दा बेटा बचाओ न बनने पाए।