कपिल मिश्रा : न्यू इंडिया पुराने तरानों पर नहीं बनेगा #RightSide


(Image courtesy: Sonu Mehta/HT Photo)

तैयार हो दोस्तों ? 

— कपिल मिश्रा

तुम लड़ नही पाओगे उनसे अगर उन्हें पहचाना नहीं। उनकी भाषा और उनके चक्रव्यूह को समझे बगैर जब जब लड़ोगे, हारोगे। उनकी ताकत है निराशा, उनकी ताकत है नकारात्मकता, उनकी ताकत है अपने देश को, समाज को और धर्म को कमजोर दिखाना और गलत साबित करना।




वो मनोबल तोड़ते है, झुके हुए सिरों को काटने में उन्हें महारत हासिल हैं। वो गैंग की तरह काम करते हैं। तुम उनके सवालों के जवाब देने लगोगे, तो देते देते थक जाओगे, उनका लक्ष्य सवालों के जवाब ढूंढना नहीं तुम्हे तोड़ना हैं।

एजेंडा उनका, सवाल उनके और जवाब तुम्हारे। कब तक खेलोगे ये खेल। चौसर के खेल में युधिष्ठिर को हारना ही पड़ता हैं।

ये सवाल चुन चुन कर करते हैं, किस के मरने पर रोना है और किस की मौत पर चुप रहना है। कौन सा दंगा गलत और कौन सा सही, ये भी ये बताएंगे।

ये अलग अलग रूप में हैं। पढ़े लिखे, कोई पत्रकार, कोई प्रोफेसर, कोई राजनेता, कोई लेखक, कोई समाजसेवी, कोई बुद्धिजीवी।

जो इनकी भाषा न बोले, इनके सवालों को अपनी जुबान और कलम से दोहराना ना शुरू कर दे उसको ये न पत्रकार मानेंगे, न लेखक, न राजनेता, बुद्धिजीवी।

खेल भी इनका, खेल के नियम भी इनके। ये बहुत थोड़े है पर बहुत घाघ हैं। इनकी पहचान क्या है? इनका हर सवाल देश, समाज और धर्म के प्रति आपको शर्मिंदा महसूस करवाएगा। इनमें होड़ है —  अपने देश, समाज और धर्म को या तो दीन हीन साबित करे या हिंसक, दुष्ट व राक्षसी।




ये कोई राजनेता हो सकता है जो सर्जिकल स्ट्राइक होते ही सवाल उठाए, कोई पत्रकार जो कश्मीर में लड़ते सेना के ऊपर सवाल उठाए। किसी एक विचारधारा के पत्रकार की हत्या देश के किये जरूरी और किसी भी अन्य विचारधारा के पत्रकार की हत्या गैर जरूरी। लालू यादव के पूरे खानदान के कच्चे चिठ्ठे खुल जाने पर भी ये चुप रहते हैं। कब भ्रष्टाचार पर बोलना है, कब साम्प्रदायिकता पर, ये भी ये निर्णय लेते हैं। कभी ये अपने देश को एक धर्म के लिए असुरक्षित बताते है, कभी उसी धर्म के 40,000 विदेशियों को सुरक्षा देने के लिए अभियान चलाते हैं।

इनसे लड़ने से पहले इन्हें जानना जरूरी हैं। जिस दिन तुम इन्हें जान जाओगे, उस दिन ये हार जाएंगे।

उस दिन सवाल तुम्हारे होंगें और इनके पास किसी सवाल का कोई जवाब नहीं होगा। इनसे उलझो मत, अपने पथ पर चलो। निसंकोच , निर्भय और लगातार। भारत देश ने लंबा इंतजार किया है। सदियों का हिसाब किताब घंटो या महीनों में नही होगा। तुम क्यों शर्मिंदा हो जब इन्हें शर्म नहीं आती। नकारात्मकता का जवाब है सकारात्मकता । निराशा का उत्तर है आशा से भरा जोश और ऊर्जा।अंधेरों में उड़ने वाले कीड़े सूरज की पहली किरण के साथ गायब हो जाते हैं। पिछले 70 साल तक इन्होंने बताया कि ये देश कैसे चलेगा। अब और नहीं।

नया हिंदुस्तान , हिंदुस्तानी बनाएंगे। आशा, ऊर्जा और सकारात्मकता की ताकत से। अब सवाल हम पूछेंगे और जवाब भी हमारी भाषा मे होंगे ।

तैयार हो दोस्तों ?

- कपिल मिश्रा


(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

  1. क्या लिखा है है सर

    क्या लिखा है सर?

    आपकी पोस्ट ऊपर के दो पंक्ति की तरह ऊपर से निकल गया. कहना क्या चाहते हो मियाँ 😂

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
अखिलेश की कहानी 'अँधेरा' | Hindi Kahani 'Andhera' by Akhilesh
समीक्षा: अँधेरा : सांप्रदायिक दंगे का ब्लैकआउट - विनोद तिवारी | Review of writer Akhilesh's Hindi story by Vinod Tiwari