शिमला को अन्य छोटे शहरों के मुकाबले, शास्त्रीय संगीत को चाहने वाले, कहीं अधिक मिले हैं। ऐसा, श्रोताओं की, उत्सव के अगले दिन वीरवार को, सिर्फ मौजूदगी को देखने के बाद नहीं, बल्कि मौजूदगी के साथ-साथ उन्हें संगीत का पूरा आनंद उठाते हुए देखना, बता रहा था।
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Rupali Thakur and Pratibha Singh (Photo© Bharat Tiwari) |
बुधवार को गेयटी थिएटर में चल रहे ‘शिमला शास्त्रीय संगीत उत्सव’ में, शुजात खान का सितार वादन था। शुजात ने कार्यक्रम की शुरुआत में शिमला से जुडी अपनी यादों को श्रोताओं से साझा किया। 60के दशक में पिता उस्ताद विलायत खान को पहाड़ का यह शहर इतना पसंद आ गया था कि उन्होंने यहाँ कुसुम्पटी के परीमहल को अपना निवास बना लिया था। शुजात ने उस समय, शहर के बिशप कॉटन स्कूल में पढाई की थी। उस्ताद ने हिमाचल सरकार के समारोह शुरू किये जाने पर ख़ुशी ज़ाहिर की और भाषा एवं संस्कृति निदेशक रुपाली ठाकुर और संगीतज्ञ शैलजा खन्ना को कार्यक्रम को सफलता से आयोजित किये जाने की बधाई दी।
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Rupali Thakur and Shrikant Baldi (Photo© Bharat Tiwari) |
शुजात खान सितार में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने वाले इम्दादखानी घराना से हैं, जो आगरा के उन खान उस्तादों का हिस्सा है, जिसे संगीत में ज़बरदस्त प्रतिभाओं के लिए जाना जाता है। इम्दादखानी जिसे इटावा घराना भी कहते हैं, इम्दाद खान से शुरू होता है और जिसमें आगे एनायत खान, वाहिद खान, विलायत खान, इमरत खान, शाहिद परवेज़ खान, शुजात खान और निशात खान आदि शामिल हैं।
पहाड़ी में अपनी ग़ज़ल सुनाने के पहले उन्होंने अपने पिता की शिमला निवास के दौरान, रची गयी राग यमनी से शाम की शुरुआत की, ख़ुसरो की ‘छाप तिलक सब छीनी’ की उनकी प्रस्तुति पर तो पूरे हाल ने खड़े हो कर उनको बधाई दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसीएस वित्त डॉ. श्रीकांत बाल्दी थे। पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थीं, जिन्होंने अपने पुत्र, कार्यक्रम के विशेष अतिथि यूथ कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह के साथ सितार वादन का आनंद उठाया।
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