स्विस बैंक में 7000 करोंड़ और फिर... अच्छे दौर की सबसे बुरी सरकार? — सौरभ राय ...अब जब सबको समझ आ गया है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र…
चित्रकार जे स्वामीनाथन की 90वीं जयंती को प्रयाग शुक्ल जी ने, 21 जून को, बहुत करीने और बहुत दिल से कनॉट प्लेस, दिल्ली में मौजूद देश की प्रा…
छोटी-छोटी लाइनों में ख़ूब बड़ी-बड़ी बात बताते हुए, दंभ को परे सरकाए, दूर भगाए, शहर में ज़िंदगी को ढूंढते हुए, छोटे-छोटे शब्दों को करीने से सजाते ह…
तकिये में एक दिल होता है — गौरव सक्सेना "अदीब" सो गए तुम "नहीं तो जाग रहा हूँ, क्यों?” क्यों जाग रहे हो वैसे। "…
प्यार, अभिलाषा, जुनून, ज़मीन, रोमांच, प्रकृति जयश्री रॉय की कहानी 'इक्क ट्का तेरी चाकरी वे माहिया...' इन सब को जोड़ती-तोड़ती और मरोड़ती कहा…
सियासी धुंधलके को हटाना ‘पायजामें में नाड़ा डालने’ जैसा नहीं हैं। न ही बापू की तरह बैठ कर चरखा चलाने सरीखा बल्कि कंजूस की गांठ से पैसा निकालने-…
कोई फिल्म या कहानी एक रचनात्मक प्रक्रिया से गढ़ी जाती है, पर उसका एक संदर्भ-बिंदु जरूर होता है. इसी में अनेक तत्वों को मिलाकर कथानक बनता है. तो, …