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छोड़ आये हम वो गलियाँ — ममता कालिया
शार्टकट कवितइ — कविता का कुलीनतंत्र (5) — उमाशंकर सिंह परमार
जैज़ की रात
अगर कोई तुम्हें बादल देता है / तो मैं बारिश दूँगा — प्रकाश के रे द्वारा अनुदित कवितायेँ
रामचरितमानस में नपुंसक — देवदत्त पट्टनायक | अनुवाद: भरत तिवारी
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