हम नहीं चंगे बुरा न कोय | सुरेन्द्र मोहन पाठक


हम नहीं चंगे बुरा न कोय

“पल्प फिक्शन”, 2004 के इकॉनोमिक टाइम्स में यह आर्टिकल छपा था, शायद वह पहली दफा था जब मैंने अपने लड़कपन के प्रिय जासूसी उपन्यासकारों वेद प्रकाश शर्मा और सुरेन्द्र मोहन पाठक के विषय में अखबार में पढ़ा था, साथ में राजहंस, गुलशन नंदा, नरेंद्र कोहली और चित्रा मुद्गल के नाम का ज़िक्र करते हुए बताया गया कि कैसे एक रूपए की कीमत में प्रकाशित पुस्तकों से यह लेखक लोगों तक पहुँच गए हैं. ज़ाहिर है कि वहां ओम प्रकाश शर्मा, वेद प्रकाश कंबोज, अकरम इलाहबादी और इब्ने सफ़ी [बीए वाले] का ज़िक्र भी था. हिंदी पाठकों की हमारी और हमसे पहले की पीढ़ी का शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने इन दोनों लेखकों के जासूसी उपन्यास को नहीं पढ़ा होगा, पूरा नहीं पढ़ा हो तो भी रेलवे स्टेशन के बुकस्टाल पर हाथ में उठाकर पलटा होगा कुछेक पन्ने पढ़े होंगे. सुरेन्द्र मोहन पाठक कब बाकि के जासूसी उपन्यासकारों से ऊपर उठते चले गए पता ही नहीं चला. इस बात का अहसास शायद तब हुआ जब हिंदी साहित्य की दुनिया यानि मुख्यधारा उनका संज्ञान लिए बगैर नहीं रह पायी...यहीं यह भी है कि हिंदी साहित्य पढ़ने वाला शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जहाँ पाठक जी का फैन पाठक नहीं हो. पाठक जी पर आज पहली बार लिख रहा हूँ और ऐसा पूरी तरह महसूस हो रहा है कि मुद्दे पर आना चाहिए वर्ना और ही और लिखता चला जाऊंगा. तो मुद्दा यह है कि:


सुरेन्द्र मोहन पाठक की आत्मकथा 

‘हम नहीं चंगे बुरा न कोय’ 

का लोकार्पण 
28 अगस्त, 2019 बुधवार को
शाम 5.30 बजे 
त्रिवेणी ऑडिटोरियम
त्रिवेणी कला संगम, 205 तानसेन मार्ग, मंडी हाउस
में हो रहा है.


राजकमल प्रकाशन की तरफ से 
सुमन परमार 
कार्यक्रम में आप को सादर आमंत्रित कर रही हैं

और

सुरेन्द्र मोहन पाठक के साथ 
विभास वर्मा 
और 
प्रभात रंजन 
की बातचीत भी होगी

हिमांशु बाजपेयी द्वारा अंश पाठ भी

——
अगर आप पहली बार त्रिवेणी कला संगम जा रहे हैं या कंफ्यूज हो रहे हैं तो घबराइए नहीं. मेट्रो से मंडी हाउस उतरिये और ‘हिमाचल भवन’ वाले गेट से बाहर आइये. बाकि मैप भी देख लीजिये






००००००००००००००००



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
ऐ लड़की: एक बुजुर्ग पर आधुनिकतम स्त्री की कहानी — कविता
अखिलेश की कहानी 'अँधेरा' | Hindi Kahani 'Andhera' by Akhilesh
समीक्षा: अँधेरा : सांप्रदायिक दंगे का ब्लैकआउट - विनोद तिवारी | Review of writer Akhilesh's Hindi story by Vinod Tiwari