हमारी बेटियों का बचाव डिजिटल पढ़ाई में हो रहे बड़े लिंग विभाजन से भी हो
डॉ शशि थरूर
आज सुबह लोकसभा में डॉ शशि थरूर ने स्कूली छात्राओं व डिजिटल पढ़ाई में हो रहे लिंग भेद पर महत्वपूर्ण टिप्पणी व सवाल उठाए।
“मेरा यह सवाल इस कोविड-काल में एक गंभीर मुद्दे को उठाने वाला है, क्योंकि ऐसी रिपोर्टें हैं कि स्कूल जाने वाली कम से कम 1 करोड़ छात्राओं को पिछले दो वर्षों में कोविड के कारण प्राथमिक स्कूल छोड़ना पड़ा है। हमारे सामने वह रिपोर्ट है जो बतलाती है कि कोविड-19 ने ऐसी स्थिति खड़ीकर दी है कि बहुत सारे बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, और फिर उनका परिवार भी उन्हे स्कूल वापस नहीं भेज रहा है। यूनिसेफ़ ने हमारे देश के छः राज्यों में पड़ताल करने के बाद एक रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार डिजिटल पढ़ाई के लिए प्रयोग किए जाने वाले सबसे सामान्य अनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर भी लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की संख्या 8 प्रतिशत कम है। यूनेस्को ने जून 2020 की अपनी रिपोर्ट में यह बतलाकर इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है कि तालाबंदी के दौरान घरों मे रहने के लिए मजबूर लड़कियों के साथ घरेलू हिंसा और यौन शोषण का खतरा बढ़ा हुआ है। यह सब उन तमाम खराब हालातों की तरह इशारा करता है जिनकी तरफ हमारी बेटियाँ पिछले दो वर्षों में पहुँच गई हैं, जहाँ इन स्कूली छात्राओं की मानसिक और शारीरिक देखभाल बुरी तरह संकटग्रस्त है।
मैं मंत्रीजी के जवाब का स्वागत करता हूँ और उनसे पूछना चाहूँगा,
क्या सरकार ने इन रिपोर्ट को संज्ञान में लिया है?
क्या किन्ही ऐसे उपचारों की तरफ सरकार बढ़ी है जिनसे हमारी बेटियों का बचाव डिजिटल पढ़ाई में हो रहे बड़े लिंग विभाजन से भी हो सके?
क्या आप छात्राओं को कोई ऐसी सुविधा, मसलन टेबलेट देने पर विचार कर सकते हैं ताकि उनकी अनलाइन तथा जब स्कूल शुरू हों तब कक्षा में , पढ़ाई सुनिश्चित हो सके?”
My comment & question this morning in the Lok Sabha on the gender gap in school education (& the rather insipid response from the Minister): pic.twitter.com/HKm6WwXSVZ
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) December 13, 2021
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