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अनामिका का हिन्दी अनुवाद - मणि राव की अंग्रेज़ी कविताएं | TRANSLATED BY: ANAMIKA / POEMS BY: MANI RAO

साहित्य में अच्छी कविता का कोई सानी नहीं है। अनामिका जी के अनुवाद का आनंद उठाते-उठाते कब आप मणि राव की कविता का आस्वाद लेने लगेंगे, पता नहीं लगेगा! 


TRANSLATED BY: ANAMIKA (Photo: Bharat Tiwari) / POEMS BY: MANI RAO (Photo: Spl arrangement) 















1::

WE BURN EYES

We burn eyes.
Slippery flambéed moon on water.
How similar, fire and rain, the lapping and the fizz.
Outlined in soot, a black curvature.


जलती हुई आँखें

जलती हुई आँखें —
पानी पर धूमसिद्ध चंद्रमा
कितने समरूप-
आग और बारिश,
लपट और बुदबुद,
कालिखखचित, श्यामल
बंकिमता







2::

BURY ME IN A FROZEN LAKE

Bury me in a frozen lake, saltless and safe, some day lifted to
    the eyes of a new person, telling her what to call me as she
    probes me.
Drop me on coral entangled, hair streaming in the current,
    rocking on a seabed of pistons.
Leave me in the garden slope, a dial tilted to the stars, on the
    orange trail as they roll to rot.
Bury me bare as a bird obvious on a tree in autumn.
Was desire meant to be saved, kept alive, unanswered? But this
    is a deathfuck, different, the more I dismember, the more I
    want
And you my queen of honeylips, the only one who ever knew
    how to make a ghost of me, play me a new song, recall me.
The nagman brings a daily death, squeezes my breasts, a clay
    clasp cooler than your hand, gives me fingers and teeth.
The gardener of dust is using my frame as a mould for the
    shape of future dust. This is how the dust will grow and the
    penciling will fall to bits.


एक जमी झील में मुझको

एक जमी झील में मुझको दफ़ना दो, लावण्यहीन और सुरक्षित
किसी-न-किसी दिन मैं हूँगी उजागर एकदम नई आँख में,
उसको बताती कि किस नाम से वह पुकारे मुझे, मुझको टटोलती हुई

मुझको गिरा दो किसी सागर के मूंगा-खचित तल तक,
लहरिल प्रवाह में बहे जाते उलझे हुए केश मेरे,
तल जैसे (लाख) पिस्टनों से आंदोलित

लुढ़का दो मुझको ढलान पर बगीचे के, (तारों की ओर झुका डायल वह)
लुढ़कन की उस रेख पर मुझको ढलका दो
जिससे लुढ़कते चले जाते हैं संतरे, मीठी सड़न की तरफ़

पतझड़-दगे पेड़ पर थोड़ा ज़्यादा ही प्रकट दीखती नंगी चिड़िया-सा
दफ़ना दो मुझको

कामना का करना क्या था हमें? उसको बचा रखना था, जीवित?
पूर्णकाम होने की कोशिश ही बेकार थी?

यह मृत्यु का योनि-भेदन है, बिलकुल अलग-सा,
जितनी विक्षत होती हूँ, उतनी ज़्यादा ही तृषा-तप्त

मधुमय होंठों वाली साम्राज्ञी, प्रेत खेला देने वाली ऐ मेरी जोगन इकलौती,
एक नया गान सुनाओ तो, मुझको पुकारो दुबारा




3::

CHOOSE

They step aside letting me clean their graves
There is a pagoda in the garden where they wait talking as I mourn

I hear a voice granting me this
That I can give up my life for anyone I wish brought back to life
But only one

Father of sacrifice needs no help to draw my pity
That is piteous

Mother of passion reigned over me
I resent that

Brother of empire I would re-instate
But why

Sister of sullenness I feel for
And ignore

Lovers of the moment I cannot deny
They did not wait for me

Children of untold stories make the most promises
They will not fulfill

चुनाव

(हाँगकाँग में अपनों की कब्र की सफ़ाई के लिए साल में एक दिन जो अवकाश होता है, उसी दिन लिखी गई थी यह कविता)

उनकी क़ब्रों की सफ़ाई में जुटी हुई हूँ जब तक, शोक मनाती हुई —
आपस में बतियाते खड़े वे बगीचे के मंडप-तले।
होती है आकाशवाणी —  “अपने जीवन की आहुति पर तुम
कोई एक जीवन पा सकती हो वापस”।

पिता शहादत -उसे चाहिए मेरी करुणा। 
अंत यह करूणास्पद है।

माँ वासना?
जीवन-भर मुझपर वह करती रही शासन,
बहुत हुआ!

और भाई साम्राज्य, रोक सकती हूँ तुम्हें,
लेकिन रोकूँ क्यों?

कोप बहन मेरी, अफ़सोस तुम्हारे लिए है पर 
मटियाती हूँ तुम्हें।

क्षणबिद्ध उन प्रेमियों में किसी एक को?
पर मेरे लिये वे रुके ही कहाँ?

उन कथाओं के बच्चे-बच्चियाँ
जो अब तक कही नहीं मैंने?
वे सबसे ज़्यादा करते हैं वादा






4::

NOT FOR SALE

Our front door faces South.

Not in Agni’s corner but
we cook wonders

in our kitchen
Northwest.

All beds face North
and yet we sleep deep

and wake up bright.

She watches.
She is all directions.

In our house of the omnipresent
we are more than vaastu compliant.




बिकाऊ नहीं

सामने का दरवाज़ा हमारे यहाँ दक्षिणमुखी है
अग्निकोण में तो नहीं लेकिन 
पकाते बहुत हैं ख़याली पुलाव हम

ईशानकोण में जहाँ चौका है।
सब बिस्तर उत्तरमुखी
पर हम सोते सदा घोड़े बेचकर ही
और उठते हैं 

ताज़ादम।

वह देखती है
वह सर्वतोमुखी है
हम अपने सर्वभूत के घर में
वास्तु अनुपालन के पार।






5::

SLOUGH

Nude the poet has to fashion masks out of his own diaphanous slough
Extract expressions and adore each as a face
There is no face only a deft masker
As shadow to body body to rhythm
Follow the ruse this far this guise this guile


Slough must be eaten to the last shred
On the last journey tracks made by the head
must be covered up by the body

Coil to the shape of a bracelet
Place tail inside mouth
Fasten clasp


The womb never leaves a child
You wear it on your back
even as you look for it
in absent-minded mourning

The new skins you grow are slough
But this is flesh–kin –

Slide back into its canoe
Bark curved from memory
And thus dressed go
to the shore your bride death

दिगम्बर कवि

दिगम्बर कवि
गढ़ने हैं उसे मुखौटे
अपनी ही पारदर्शी केंचुली से।
गढ़नी है सबकी अलग मुखाकृतियाँ,
अलग-अलग अभिव्यक्तियाँ साधकर।
वंदना करनी है उनकी जैसे कोई सूरत हों वे।
लेकिन ये चेहरे कहाँ, कुशल कलाकार केवल।
छाया का नाता जैसे देह से, देह का ताल।
माया के पीछे यहाँ तक, यह भेष, यह धोखा।

आख़िरी रेशे तक खप जाना चाहिए केंचुल,
आख़िरी सफ़र पर बुद्धि का बनाया यह रास्ता
देह ज़रूर पार कर जाए।

गुड़ी-मुड़ी होकर रख लो पूँछ मुख में, बना लो वलय-कंगन।


कोख कभी शिशु को नहीं छोड़ती
खोये-खोये-से विभ्रम में।
शोक मनाते हो तुम जिसका तुम,
उन्मन-से देखते हो इधर-उधर
अपने ही कंधे पर है पड़ा हुआ।

नई त्वचा जो उगाते हो, होती है केंचुल, पर यह तो है
रक्त-मज्जा, ए बंधु,

डोंगी बनाते हो जिसका, वह छाल पेड़ की त्वचा है स्मृति-बंकिम
इसी तरह सजे-धजे मृत्यु-प्रिया से तुम मिल आना।
(डोंगी पर हो जाना पार।)







6::

SEQUENCE

Don't keep this story to yourself
When you know the characters re-read the story
One day someone goes in search of the fictitious place in your story and finds it
Did you make it believe or did you not know
I got it from our dreams
When all our dreams fell in line I de-duplicated and filed them for an eclipse
What made a sequel necessary
To know if the story was real

When a story bewilders folding unfolding like origami take a beaded chain 
    place a scene on each bead break the chain swallow the beads stand still 
    until they settle their own sequence collapse your intestines take a print 
    install in an art gallery



अनुक्रम

अपने तक मत रखो अपनी कथा।
जानती ही हो कि किरदार
फिर से कहानी पढ़ते हैं।
एक दिन कोई उठ जाता है संधान में
एक किताबी ठिकाने के
और फिर पा भी जाता है उसे।

तुमने उसको क्या दिया था भरोसा
या तुमको पता ही नहीं था?
मैंने तो इसका पता
अपने सपनों से लिया।
जब सपने लाइन में लगे,
दोहराव मेटने का बटन दबाया कंप्यूटर पर
और उन्हें छुपा दिया जैसे ग्रहण लगा दिया।
अनुक्रम की क्या ज़रूरत थी
यह देखने केलिए कि कहानी सच्ची थी?

ओरिगामी पन्नों की तरह
जब कहानी बार-बार मुड़े
और पैदा कर दे कोई घनचक्कर,
लो एक सिकड़ी,
मनके की तरह पिरो दो उसमें
एक-एक दृश्य,
फिर सिकड़ी तोड़ो, मनके निगल लो,
ठहरो जब तक अनुक्रम वे नहीं बना लेते,
फिर अपनी अँटड़ियाँ उलट लो,
प्रिंट लो और
आर्ट गैलरी में रख दो।







7::

INTO ANOTHER INK NIGHT

Snuggle into another
ink night.

Every sleep
leaves the bonds
of the sullen earth.

A bed is a juncture
in the middle
and a precipice
on either end.

When I back away
in quarrel,
hold me.

Staring for your eyes
in the dark,
I find them
locked.

What lovers can
drop their lids
and have the same dream?

When you’re gone,
maybe the air
will nestle thick.

Maybe I will
continue,
awake.



एक और स्याह रात से

एक और स्याह रात से
लिपटकर सोना।

हर नींद छोड़ती है अनुबंध
जटिल पृथ्वी का।

बीच से तो बिस्तर है संधि-रेखा,
और गर्त है वह दोनों किनारों पर।

अंधियारे में तुम्हारी आँखें टोहती हुई
मैं उनको देखती हूँ मिंचा हुआ।
कैसे होते होंगे वे प्रेमी
जो मूँदकर आँखें
एक ही स्वप्न देखते हैं?

तुम चले जाओगे तो
हवा भारी हो लिपटेगी।
हो सकता है कि मैं
बरकरार रह लूँ,
जागी हुई।

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