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सुरेन्द्र मोहन पाठक #PulpSeries |
अगर आपकी उम्र 50-70 के बीच है, और आप हिन्दी के पाठक रहे हैं तो मैं बहुत हद तक तय मानूँगा कि आपने कभी न कभी हिन्दी के जासूसी उपन्यास पढ़े होंगे। आपने इब्ने सफी - जेम्स हैडली चेज़ -- वेद प्रकाश कांबोज -- कर्नल रंजीत -- वेद प्रकाश शर्मा -- सुरेन्द्र मोहन पाठक -- ये लिस्ट लंबी है और हो सकता है कि जिस जासूसी उपन्यासकार को आप पढ़ते रहे हों उनका नाम यहाँ न लिखा हो।
‘अमर उजाला’ के समूह सलाहकार यशवंत व्यास के हिन्दी के काम ज़बरदस्त हैं। वो इन दिनों जासूसी उपन्यासकारों की दुनिया की जासूसी कर रहे हैं, उसे दर्ज़ कर रहे हैं - आखिर वह भी तो हिन्दी के इतिहास का महत्वपूर्ण अंग है - इस दौरान वह जो पॉडकास्ट, विडिओ, इंटरव्यू, या बातचीत यूट्यूब पर अपने चैनल पर साझा कर रहे हैं वह किसी भी दिलचस्प शो से कमतर नहीं है। आप पॉडकास्ट देखें/सुने और पसंद आने पर उन तक ज़रूर पहुंचा दें जो जासूसी उपन्यास के प्रेमी रहे हों। ~ भरत तिवारी
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1 टिप्पणियाँ
जी ये एक रोचक शृंखला शुरू हुई है। हिन्दी में अपराध कथा, हॉरर ऐसी विधाएँ हैं जो आज भी पढ़ी जाती हैं। लगातार इस विधा की रचनाओं की माँग बनी हुई है।
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