Hindi Upanyas aadi aur Uske Sanskaran — Anant Vijay जिस समय में आंकड़ों पर ही सब तय होता है वहीँ आज भी हिंदी में प्रकाशित साहित्यिक पुस्त…
Hindi Literary Criticism Vs New Generation — Anant Vijay आलोचना से बचती युवा पीढ़ी — अनंत विजय अभी पिछले दिनों एक अनौपचारिक …
Hindi drama writing, an Art form getting extinct. — Anant Vijay इंदिरा दांगी के नाटक 'आचार्य' से मेरा जुड़ाव आत्मीय है, वो ऐसे …
कहानीकार के रूप का वर्तमान अनंत विजय आख़िर हिंदी का कहानीकार वर्तमान से अपनी दूरी को क्यों कम नहीं करता ? क्यों पुराने के मोह से जुड़ा …
कविता के बाद कहानी पर नजर - अनंत विजय अनंत विजय, नामवर सिंह की बात करते हुए बताते हैं कि नामवर जी ने एक बार कहा था – "हिंदी में अ…
हिंदी के ‘छद्म’ पुरस्कार - अनंत विजय हिंदी के लेखकों को पद्म पुरस्कार तो कम मिलता है लेकिन यहां थोक के भाव से छद्म पुरस्कार बांटे जा…
सेक्लयुर चैंपियनों की असलियत ! - अनंत विजय समाज सुधारक और धर्मनिरपेक्ष होने का तमगा... हाल के दिनों में पूरे देश में दो मुद्दे की…
साहित्यक सर्वे में लापरवाही का “खेल’ ~ अनंत विजय आज से करीब सोलह साल पहले की बात है । दिल्ली के एक प्रतिष्ठित दैनिक में साहित्यिक पु…
साहित्य में अश्लीलता - अनंत विजय साहित्य में भाषा का सवाल गाहे बगाहे उठता रहा है । जब भी कोई ऐसी कृति आती है जिसमें भाषा की स्थापित म…
लेखकीय असहिष्णुता पर सवाल ~ अनंत विजय आलोचनात्मक टिप्पणी करनेवाले और रचनाकार के बीच बातचीत बंद हो जाना तो आम बात है …
Is Sahitya Akademi President Under Pressure ? अराजकता का लाइसेंस नहीं स्वायत्ता ~ अनंत विजय साहित्य अकादमी के कार्यकारी मंडल की बैठ…
पता नहीं लोग क्यों राजेन्द्र जी को स्त्रियों के लिए बदनाम करते हैं, मुझसे तो उन्होंने केवल इतना कहा, सिर उठाकर बात करिए मैत्रेयी पुष्पा, कह…