ये सच तो सभी जानते हैं कि अपनी पहली किताब हर कवि/लेखक को बेहद प्रिय होती है. अपने पहले कविता संग्रह ‘संतरंगी मन’ में मैंने जीवन के कई-कई …
रुचि भल्ला रचना का जीवंत होना ज़रूरी है. रचनाकार उसे जन्म देता है और उसे ही यह देखना होता है कि उसकी कृति, कवि की कविता, लोगों से दूर नहीं …
न जाने कब ही क्या तुम मांग बैठो — गौरव सक्सेना "अदीब" प्रेम ही है एक अमर चीज़। प्रेम को पढ़ना प्रेम, देखना प्रेम, सुनना प्रेम..…
अखिलेश्वर पांडेय की कविता बस इतनी गुज़ारिश है मुझे ग़ालिब न बनाओ ग़ाली न दो! मैं बड़ी क़द्र करता हूं उनकी मैं तो उनकी सफेद दाढ़ी का ए…
'प्रेम कसैला था' व अन्य कवितायेँ — श्री श्री Shri Shri's Hindi poems powerfully express intricate emotions of love. Beautif…