मलय जैन भाई का लेखन इतना परिपक्व है कि बार-बार पढ़ा जा सकता है. 'जय हिंदी' बोलते हुए पढ़िए उनका ताज़ा क़रारा व्यंग्य! ~ सं०
आगे पढ़ें »व्यंग्य बारूद भाई की फ्रेंड रिक्वेस्ट और फुस्स प्रोफ़ाइल मलय जैन जन-जन की भांति मैं भी सुबह आंख पूरी खुलने से पहले चौखटा बही खोल बैठा हूँ और जो…
आगे पढ़ें »हंस नवम्बर' 18 में प्रकाशित शालिगराम की नतबहू — मलय जैन, ऊंचाई ठीक-ठाक, रंग कन्हैया को मात देता और बचपन में निकली बड़ी माता से चेहरा छप्…
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Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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