छूट गयी डाल — प्रयाग शुक्ल हाथ से छूट गयी डाल कहती हुई मानो, नहीं, और मत तोड़ो फूल बहुत हैं जितने हैं हाथ में कुछ कल की सुगंध के…
कुछ भी ‘अतिरिक्त’ उन्हें पसंद नहीं था। न ही किसी भावना का भावुक प्रदर्शन करते थे। न रंगों-शब्दों की फिजूलखर्ची रामकुमार के यहां है। सौ टका…
साहित्य के संत अशोक सेकसरिया को शब्दांकन परिवार की श्रधांजलि अशोक सेकसरिया अच्छाई उपजाने वाले व्यक्ति थे - प्रयाग शुक्ल दो दिन …