विशाख ने गंगा की लहरों में अम्मा को सौंप दिया, पर स्मृतियों की धाराएँ अब भी मन के तटों से टकरा रही थीं। प्रस्तुति के शब्दों ने तर्क दिया, मगर विशाख …
आगे पढ़ें »समीक्षा लिखते समय यदि लेखक यह याद रखे कि गद्य पढ़ने का आनंद उसके प्रवाह में होता है, तो वह विजय पंडित द्वारा लिखित, हाल में आयी किताब — अवसाद का आनंद…
आगे पढ़ें »भाषा मौन है। हृदय में उल्लास के बजाय सिहरन हो रही है। यह कैसी कहानी है जो इतनी अ यथार्थ होते हुए भी, किस जादू से एकदम सच हो गई है। यथार्थ नहीं सत्य…
आगे पढ़ें »समीक्षा हो सकता है कि इस मुद्दे की कोई अंतर्कथा हो, लेकिन उनकी अनुपस्थिति खलती है और यह हिदी साहित्य के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है... लमही के अमृत …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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