हंसती खेलती सी दिखने वाली ये कहानी दरअसल हमारे समय के भयावह सत्य को उजागर करती है और अपनी रोचकता भी बनाये रखती है। पुरुषोत्तम जी ने एक साथ तीन-चार ग…
आगे पढ़ें »धर्म और नारी स्वाधीनता का साथ एक मूर्खतापूर्ण कल्पना है तसलीमा नसरीन का नाम आज भारतीय उपमहाद्वीप में ही नहीं पूरी दुनिया में स्त्री-मुक्ति …
आगे पढ़ें »पारदर्शी था किरणों का तल तक पहुँचना - रीता राम की कवितायेँ वादियाँ एक निमंत्रण पहाड़ों से घिरी झील प्रकृति का निमंत्रण बसा शहर चारो ओर …
आगे पढ़ें »सत्ता रचना से नहीं घबराती विचार से घबराती है राज्य बहुत सारे दबावों में वो खुद तो संरक्षशील है, लेकिन बहुत सारे उसे उकसाने वाले तत्व पैदा हो…
आगे पढ़ें »अपने इंटरव्यूज में प्रकाश झा कई बार कह चुके हैं कि उनकी फिल्म सत्याग्रह अन्ना के आंदोलन से प्रेरित नहीं है, लेकिन फिल्म देखते समय ये साफ़ महसूस होता…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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