कवितायें विभा रानी आ ज नहीं खेली होली! आज नहीं खेली होली पर पूरियां बेलीं भरी कचौरियां - हरे मटर की काटी थोड़ी सब्जियां, रिश…
आगे पढ़ें »बहीखाता विभा रानी (शब्दांकन उपस्तिथि) कहानी: अभिमन्यु की भ्रूण हत्या तीन कवितायें आलेख: सेलेब्रटिंग कैंसर! कहानी: रंडागिरी ब…
आगे पढ़ें »कोई लौट कर जवाब ही नही देता। अपनी ही आवाज बार-बार लौट कर आ जाती है। …
आगे पढ़ें »उतर जा...! क़ैस जौनपुरी मुंबई की लोकल ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पे रूकी. फ़र्स्ट क्लास के डिब्बे में फ़र्स्ट क्लास वाले आदमी चढ़ गए. फ़र्स्ट क्लास वाली औ…
आगे पढ़ें »वचन सुनत नामवर मुसकाना अनंत विजय नामवर सिंह का विरोध करनेवालों को यह भी सोचना चाहिए कि …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
Social Plugin