कविताएँ - कल्याणी कबीर


जनवादी लेखक संघ, अक्षरकुम्भ, सिंहभूम जिला साहित्य परिषद् आदि साहित्यिक मंच की सदस्या कल्याणी कबीर का जन्म बिहार के मोकामा गाँव में ५ जनवरी को हुआ है. कल्याणी, झारखण्ड के जमशेदपुर शहर में अध्यापिका के पद पर कार्यरत है और आकाशवाणी जमशेदपुर में आकस्मिक उद्घोषिका हैं. उनकी कविताओं में नयी मिट्टी का सोंधापन भी है और पुराने बरगद की तरह समाज को देखने की दृष्टि भी. उनकी तीन कविताएँ आपके लिए ...



मेरा अस्त्तित्व

महज कुछ शब्दों की गठरी नहीं है
न ही ये
हो हल्ला मचाने का
एक जरिया भर है
ये है मेरी सोच का हस्ताक्षर - मेरे होने का प्रमाण-पत्र
मेरी जीवन राह है ये - जो हलचल से नहीं डरती
न ही घबराती है
अनवरत जगती रातों से
ये एक रोशनी है जिसकी
छांव मॆं सांस ले रही है सृष्टि सारी
मेरा वजूद
मेरे गर्भ मॆं पल रहे शिशु की तरह है
जो पहचान है मेरे स्त्रीत्व की
और
जिसका जीवित रहना
मेरे जीवित रहने से भी ज्यादा जरूरी है ...

आँचल में बाँध लिया है

कहाँ सहेज पाती हूँ
मैं अपनी याद में तुम्हारी गलतियां
कब मानती हूँ बुरा जब
 बोल जाते हो तुम बुरा अनजाने में

मैंने तो समेट लिया है
अपनी आँखों के सारे ख्वाब
और सजा दिया है उस जगह तुम्हारे नन्हें सपने
सुकूं पाती हूँ जब खींच लेती हैं तेरी
बातें मेरी थकान
थामते हो हाथ तो मिलती है हारी उम्मीदों
को नई उड़ान

तुम्हारी महक, तुम्हारी छुअन से खिलते हैं सतरंगी कमल
मंडराते हो जब इर्द-गिर्द
तो महफूज़ लगते हैं सभी पहर
नज़र आते हो तुम जहाँ तक, वहीँ तक देखते हैं हम
तेरे मुस्कान के मरहम से
हर ज़ख्म सेंकते हैं हम
तुम्हारी फरमाइशों की फेहरिस्त हमने आँचल में बाँध ली है
मेरे बच्चे "तेरे होने" ने घर को गुलशन बना दिया है

सोचती हूँ और ...

डरती हूँ जब हौसलों के चेहरे पर पड़ जायेंगी झुर्रियाँ
   मुझे रोटी के लिए तेरे दर के तरफ देखना होगा
जब बुढापा रुलाएगा कदम दर कदम पे
  तब महफूज़ छत की जरुरत होगी
     मेरी बूढी नींद को
गर दूंगी तेरे हाथों में दवाओं की कोई लिस्ट
  तू भूल
     तो न जाएगा उन दवाओं को खरीदना
अभी तो चूमता है मुझको बेसबब
घड़ी - घड़ी
कहीं तरसेंगे तो नहीं हम
तेरे हाथों के छुअन को
जाने कल के आईने में कैसे दिखेंगे
- हमारे रिश्ते
फिलवक्त तो यही सच है हमारे दरम्यान मेरे बच्चे ...
मेरे जिस्म का
  टुकड़ा तू मेरी जान रहेगा...
मेरे लिए
  हमेशा तू नादान रहेगा ...

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