नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब - अशोक चक्रधर | Nari ke Saval Anadi ke Jawab - Ashok Chakrdhar


नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब - अशोक चक्रधर
नारी 

के 

सवाल 

अनाड़ी 

के 

जवाब

अशोक चक्रधर

प्रश्न 1. अनाड़ी जी, जो लोग बात-बात में सौगंध खाते हैं, उन पर आप कितना भरोसा करते हैं?


मीनाक्षी गर्ग
244, मकरपुरा रोड, बड़ौदा-390009 (गुजरात)

       सौगंध खाने वाले लोगों को मैं
       अपनी मुस्कान से पोसा करता हूं,
       लेकिन उनका सिर्फ़
       नौ-गंध भरोसा करता हूं।
       ऐसे लोग अपनी सज-धज में तो
       अनूठे होते हैं,
       पर नाइंटी वन परसैंट
       झूठे होते हैं।
       अरे, गंध खाने की नहीं
       सूंघने की होती है
       फिर भी सौ गुना करके खाते हैं,
       उनके चक्कर में
       सचाई के फूल कुम्हला जाते हैं।


प्रश्न 2. अनाड़ी भैया, छात्र एग़्ज़ाम से डरता है, मरीज सर्जरी से डरता है तो आप किससे डरते हैं?

यासू गर्ग
D/o. पवन गर्ग
पोस्ट-कंवाली-123411, जिला-रिवाड़ी (हरियाणा)

       मैं पंडित, प्रीस्ट, काजी से नहीं डरता,
       मैं किसी भी तथाकथित महान से
       या उसके पिताजी से नहीं डरता।
       मैं डरता हूं अपने दिल और
       दिमाग की भाप से,
       मैं डरता हूं अपने आप से।

प्रश्न 3. अनाड़ी जी, वो प्यारी सी चीज क्या है, जिससे आपके चेहरे पर हमेशा हल्की सी मुस्कान रहती है?

प्रियंका पाठक
द्वारा- डॉ. जीतराम पाठक
संजय गांधी नगर, रोड नं. 10, हनुमान नगर
पटना-800020 (बिहार)

       मैं अगर मुस्कुराता हूं,
       तो इसका अर्थ है कि
       अपने ग़म छिपाता हूं।
       लूट है खसोट है मारामारी है,
       भूख है ग़रीबी है
       कालाबाज़ारी है।
       विसंगतियां करती हैं
       नित नया तमाशा,
       फिर भी चेहरे की मुस्कान के पीछे
       एक प्यारी सी चीज़ है— आशा!

प्रश्न 4. अनाड़ी जी, हम सब बच्चे रहें तो कितने अच्छे रहें?

रेणु श्रीवास्तव
404, मां भगवती कॉम्पलैक्स 
बोरिग रोड चौराहा, पटना-1 (बिहार)

       क्या बात है
       कितना अच्छा रहे,
       अगर हर कोई बच्चा रहे।
       फिर बड़ा होने पर भी
       बूढ़ा होने पर भी
       कोई मरेगा नहीं,
       क्योंकि जब तक मारे न जाएं
       बच्चे मरते हैं कहीं?


प्रश्न 5. अनाड़ी जी, क्या आप अपने दिल की बात ग़ज़ल में बता सकते हैं?

नैना विश्नोई
गढ़वाली मौहल्ला
लक्ष्मी नगर
दिल्ली-110092

       दरिया जैसा मेरा दिल है,
       इसमें लहरों की महफ़िल है।

       क़त्ल हुआ आंखों के आगे,
       आंखों में ही तो क़ातिल है।
     
       इसका बिल चुकता हो कैसे,
       जेब न मेरी इस क़ाबिल है।

       लहरें जड़ तक पहुंच रही हैं,
       इतना सटा हुआ साहिल है।

       सब पढ़ते हैं तू लिखता है,
       तू भी पढ़ तू क्यों जाहिल है?


प्रश्न 6. अनाड़ी जी, क्या यह कल्पना की जा सकती है कि रामायण वाला रामराज वापस आएगा?

रागिनी देवी निगम
EWS-480, केडीए कॉलोनी
देहली सुजानपुर, पोस्ट-सीओडी-208013
जिला-कानपुर नगर (उ.प्र.)
       गाथा के सब चरित्र जीवन में फैले हैं
       लेकिन आज वे उजले नहीं, मैले हैं।
       रघुकुल के रीति-वचन मिट्टी के मोल हैं,
       रावण की काया पर रामजी के खोल हैं।
       सोने की लंका से वानरों की तस्करी है,
       शिक्षा-साहित्य सभी गुरुओं की मसखरी है।
       केवटों की गुहों की झोपड़ियां जल रही हैं,
       उन्हीं को फंसाने की योजनाएं चल रही हैं।
       कौशल्याएं, सुमित्राएं मुकदमे लड़ रही हैं,
       शबरी, अहिल्या नारी-केन्द्रों में सड़ रही हैं।
       राम के नाम पर लूट ही लूट है,
       बंदरों को भालुओं को लूटने की छूट है।
       कहने में होता है मुझको अफ़सोस तो,
       रामराज सपना है हकीकत नहीं दोस्तो।
       धन्य भाव से धान्य नहीं होना है,
       रामराज का यही तो रोना है।
       संतोषी प्रतीक्षा में कुछ बदलता नहीं है,
       कोरे सपनों से देश चलता नहीं है।
       अतीत के व्यतीत में झांकने के लिए
       बात भले ही रामराज की हो,
       लेकिन ज़रूरी है कि आज की हो।


प्रश्न 7. अनाड़ी जी, स्वार्थ हमें कहां ले जाएगा?

समृद्धि
24-बी, सदर बाजार
श्रीगंगानगर-335001

       योगी कहता है
       स्वार्थ ले जाता है
       जीते जी नर्क में,
       भोगी कहता है
       स्वार्थ ले जाता है
       जीते जी स्वर्ग में।
       मैं समझता हूं कि
       स्वार्थ ही एक स्तर पर
       परमार्थ है,
       लेकिन तय होगा इससे कि
       किसके द्वारा, किसके लिए
       किसका स्वार्थ है।


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