nmrk2

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

क़मर वहीद नक़वी - किसी बलात्कारी से किसी मुसलमान को कोई सहानुभूति नहीं है A Muslim has no sympathy for any Rapist - Qamar Waheed Naqvi

राग देश

किसी बलात्कारी से किसी मुसलमान को कोई सहानुभूति नहीं है

लाल टोपी की काली राजनीति !

क़मर वहीद नक़वी

वोट के लिए बलात्कार भी माफ़! राजनीति के नाबदान में ये राग ग़लीज़ की नयी तान है! वाह मुलायम सिंह जी, वाह! मान गये आपको! आपको बचपन से पहलवानी का शौक़ था, ऐसा सुना था. लेकिन आज पता चला कि आप वाक़ई बड़े उस्ताद पहलवान हैं. ऐसा पछाड़ दाँव मारा आपने कि इमरान मसूद, अमित शाह, आज़म खान, सबके सब फिसड्डी रह गये! बेशर्मी की पतन-ध्वजा आपके हाथों में आ कर महागर्वित है!

          बलात्कार पर फाँसी हो या न हो, यह एक अलग बहस है. आपने कहा कि आप बलात्कार के सिए फाँसी के ख़िलाफ़ हैं. कहिए. इसमें कुछ भी ग़लत नहीं. देश में बहुत-से लोग बलात्कार या किसी भी अपराध में फाँसी दिये जाने के विरुद्ध हैं. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे आपकी तरह बलात्कार को 'लड़कों की मामूली ग़लती' मानते-समझते हों! आप कहते हैं, "....बेचारे तीन को फाँसी हो गयी, क्या रेप में फाँसी दी जायेगी, लड़के हैं, ग़लती हो जाती है, तीन को अभी फाँसी दे दी गयी मुम्बई में....."

          क्या गैंग-रेप 'ग़लती से' हो जाता है? क्या 'गैंग-रेप' करनेवाले 'बेचारे' हैं? और वही लड़के कई लड़कियों से 'गैंग-रेप' करते हैं, क्या ये बार-बार गैंग-रेप भी 'ग़लती से' ही हो जाता है? क्या बार-बार 'गैंग-रेप' करनेवाले 'बेचारे' हैं? मुम्बई में शक्ति मिल के बलात्कारियों को आप 'बेचारा' समझते हैं तो इससे ज़्यादा घिनौना सोच भला और क्या हो सकता है?

          यह तो हुई आपकी बात की बात. अब बात आपकी बात के पीछे छिपी मंशा की! ये बात आपने कहाँ कही? उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद की एक चुनावी रैली में. आपको लगा कि ऐसा कह कर आप मुसलिम वोटरों को पुचकार लेंगे. मुम्बई के तीन बलात्कारियों में से दो मुसलमान हैं और एक हिन्दू. आपको लगा कि शायद मुसलमानों को कहीं न कहीं यह बात चुभ रही हो कि दो मुसलिम लड़कों को फाँसी होनेवाली है! इसलिए अगर आप उनको 'बेचारा' कहेंगे, तो शायद मुसलिम वोटों की अच्छी फ़सल काट लें! आपने जिस मंशा से यह बात कहीं, वह मंशा तो आपकी बात से भी कहीं ज़्यादा घिनौना है! आप एक बार फिर बेनक़ाब हो गये कि आप मुसलमानों को वाक़ई समझते क्या हैं, आप मुसलमानों को अब तक कैसे चूसते-निचोड़ते रहे हैं, कैसे उन्हें भरमाते- बहकाते हुए रखैल की तरह अब तक उनके साथ खेलते रहे हैं!

किसी बलात्कारी से किसी मुसलमान को कोई सहानुभूति नहीं है और न कभी होगी. किसी आतंकवादी से भी किसी मुसलमान की कोई सहानुभूति नहीं है, बशर्ते कि उसे किसी झूठे केस में फ़र्ज़ी तौर पर फँसाया न गया हो!
          मुलायम जी, बस बहुत हो चुका. राजनीति का यह ग़लीज़ राग बन्द कीजिए. किसी बलात्कारी से किसी मुसलमान को कोई सहानुभूति नहीं है और न कभी होगी. किसी आतंकवादी से भी किसी मुसलमान की कोई सहानुभूति नहीं है, बशर्ते कि उसे किसी झूठे केस में फ़र्ज़ी तौर पर फँसाया न गया हो! मुसलमानों को तकलीफ़ तब होती है जब फ़र्ज़ी मुठभेड़ में इशरत जहाँ जैसों को मार दिया जाता है, जब फ़र्ज़ी कहानियाँ गढ़ कर 'आतंकवादी' पकड़े जाते हैं और बरसों बाद अदालतों में साबित होता है कि पुलिस ने केस बनाने के लिए बिलकुल झूठी कहानी रची थी. ऐसे मामले अब एक-दो नहीं, बल्कि सैकड़ों में हैं. आतंकवाद का पूरी तरह सफ़ाया कीजिए, आतंकवादियों को उनके किये की कड़ी से कड़ी सज़ा दीजिए, लेकिन आग्रह एक ही है कि उनके ख़िलाफ़ आरोप सच्चे हों, सबूत पुख़्ता हों.

          मुसलमान बच्चे पढ़-लिख रहे हैं, लड़के-लड़कियाँ सब तमाम रूढ़ियों की बेड़ियाँ तोड़ कर करियर के आसमान छूने के लिए बेताब हैं, मुसलमानों की नयी पीढ़ी अब वोट बैंक नहीं बने रहना चाहती, वह नहीं चाहती कि राजनीति उन्हें रखैल की तरह भोगे और फेंक दे. मुसलमानों को सिर्फ़ एक चीज़ चाहिए और वह है सुरक्षा और आश्वस्ति का भाव ताकि वह अपना भविष्य सँवार सकें, एक आम हिन्दुस्तानी की तरह जियें!
न मुसलमान वोट बैंक हैं और न कुत्ते के पिल्ले! न बलात्कार 'ग़लती से' होता है और न बलात्कारी 'बेचारे.' लोकतंत्र है. वोट ज़रूरी है. चुनाव देश बनाने के लिए होता है, आग लगाने के लिए नहीं. जिसे देखो, वही वोटर को छाँटो, बाँटो, काटो के खेल में लगा है. नमो के सेनानायक हैं अमित शाह. मुँह में विकास, बग़ल में छुरी. अपमान का बदला लेने का बारूद सुलगा कर चले आये. कौन-सा अपमान और किससे बदला? इमरान मसूद हैं. बोटी काटनेवाला पुराना टेप ख़ुद लीक करा देते हैं! आज़म ख़ान साहब को करगिल से 'अल्लाह-ओ-अकबर' सुनायी देने लगता है. करगिल हुए इतने दिन हो गये. बीस साल बाद अचानक ये सुरसुरी छोड़ी जाती है! और फिर उस्तादों के उस्तादों मुलायम सिंह जी अपना 'अग्निबाण' चलाते हैं! इस सारी अग्निवर्षा का मंच एक ही है - पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जहाँ अभी कुछ महीने पहले ही बड़ा दंगा हुआ था. अब तो आप समझ ही गये होंगे कि दंगा हुआ था या कराया गया गया था? क्योंकि यहाँ न तो मुलायम का ख़ास असर था और न बीजेपी का! दंगों के बाद यहाँ कहानी काफ़ी बदल गयी है!

          ऐसी राजनीति से देश कहाँ पहुँचेगा? यह विकास का कौन-सा माडल है? मुट्ठी भर वोटों के लिए लोगों को उनका मज़हब याद दिला-दिला कर बरगलाया जा रहा है. 'इंडिया फ़र्स्ट' का यही नमूना है क्या? देश ऐसे ही जोड़ने का इरादा है आपका? अजब घनचक्कर है. काम तोड़ने वाले करो और कहो कि हम जोड़ रहे हैं! तोड़ते रहो और कहो कि हम जोड़ रहे हैं! और वह लाल टोपी की काली राजनीति के मसीहा! जिनको बलात्कारी, गैंग-रेपिस्ट भी भोले-भाले, मासूम, बेचारे नज़र आते हैं! कभी सोचा कि ऐसे हादसों के बाद लड़कियों पर क्या बीतती है? लेकिन वह क्यों सोचें लड़कियों के बारे में? लड़कियाँ उनकी वोट बैंक नहीं हैं! लड़कियाँ उनकी नज़र में, उनके समूचे सोच में आज़ाद प्राणी भी नहीं, बल्कि खूँटे से बँधी रेवड़ हैं. वरना बलात्कार पर वह खाप पंचायतों जैसी भाषा न बोलते! कोई हैरानी नहीं कि बलात्कार के मामले में उत्तर प्रदेश देश में मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद तीसरे नम्बर पर है. वैसे याद आया कि मुलायम जब मुख्यमंत्री थे तो परीक्षाओं में नक़ल रोकनेवाला क़ानून उन्होंने ख़त्म करा दिया था ताकि बच्चे आराम से परीक्षाएँ पास कर सकें. बच्चे परीक्षा तो पास कर रहे हैं, बस पढ़ाई कितनी करते हैं, यह मत पूछिए. अब वह वादा कर रहे हैं कि बलात्कार के ख़िलाफ़ क़ानून का 'दुरुपयोग' रोकेंगे. अब आप अन्दाज़ लगा सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में जब-जब उनकी पार्टी का शासन आता है तो गुंडाराज क्यों बढ़ जाता है?

(लोकमत समाचार, 12 अप्रैल 2014)
nmrk2

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
टूटे हुए मन की सिसकी | गीताश्री | उर्मिला शिरीष की कहानी पर समीक्षा
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
मन्नू भंडारी की कहानी  — 'नई नौकरी' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Nayi Naukri' मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है
एक स्त्री हलफनामा | उर्मिला शिरीष | हिन्दी कहानी
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani