तिमिर में झरता समय : मुक्तिबोध के विचारों और विश्लेषणों का एक उत्तेजक समुच्चय Rajendra' Mishra's critical reviews on Muktibodh's writing


मुक्तिबोध की अपनी विचारदृष्टि जो भी रही हो, उनकी उपलब्धि का एक महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि उनकी दृष्टि से अलग या कई बार विपरीत दृष्टि रखने वाले लेखकों ने, जिनमें कई पीढ़ियों के लोग शामिल हैं, उन पर गम्भीरता से विचार किया, उनके महत्त्व के कई पक्षों पर रोशनी डाली। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि पिछली अर्द्धशती में हिन्दी में जिन सात-दस लेखकों की मूर्धन्यता बहुमान्य रही है और जिनमें दृष्टियों, विचारधाराओं और पीढ़ियों के पार लेखकों-पाठकों ने हमारे समय के सच और सचाई को, भाषा में किये गये साहस और जोखिम को, समाज और व्यक्ति के जटिल सम्बन्धों और द्वन्द्वों को पाया-समझा है और जो हमारे लोकतन्त्र का एक तरह सर्जनात्मक और आलोचनात्मक सत्यापन और प्रश्नांकन एक साथ हैं, उनमें मुक्तिबोध की जगह बहुत उजली और निष्कलंक है।

वरिष्ठ आलोचक राजेन्द्र मिश्र ने मुक्तिबोध पर इस बीच जो आलोचना लिखी गयी है उसका एक संचयन तैयार किया है। उसके समग्र होने का कोई दावा नहीं है। पर वह एक बड़े लेखक के अनेक पक्षों पर अनेक दृष्टियों से किये गये विचारों और विश्लेषणों का एक उत्तेजक समुच्चय है।

राजेन्द्र मिश्र
एच.आई.जी., सी-16, शैलेन्द्र नगर, रायपुर-492001 (छत्तीसगढ़)
मोबाइल: 9009109897

A collection of critical writings by Rajendra Mishra of Muktibodh's work. Book Publisher : Vani Publication.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
ट्विटर: तस्वीर नहीं, बेटी के साथ क्या हुआ यह देखें — डॉ  शशि थरूर  | Restore Rahul Gandhi’s Twitter account - Shashi Tharoor
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी