प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां - मनीषा पांडेय: कवितायेँ Hindi Poem Pyar me Doobi hui Ladkiyan by Manisha Pandey

प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां 

मनीषा पांडेय

प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां



यूं तो मनीषा के परिचय में काफी चीजें कही जा सकती हैं। वो पेशे से पत्रकार हैं, राइटर हैं, ब्‍लॉगर हैं, फेसबुक पर स्त्रियों की उभरती हुई सशक्‍त आवाज हैं, लेकिन इन सबसे ज्‍यादा और सबसे पहले वह एक आजाद, बेखौफ सपने देखने वाली स्‍त्री हैं। रोजी-रोटी के लिए पत्रकारिता करती हैं, लेकिन बाकी वक्‍त खूब किताबें पढ़ती हैं, घूमती हैं, फोटोग्राफी करती हैं और जीती हैं। उनकी जिंदगी एक सिंगल और इंडीपेंडेंट औरत का सफर है, जिसने इलाहाबाद, मुंबई और दिल्‍ली समेत देश के कई शहरों की खाक छानी है। मनीषा पूरी दुनिया की सैर करना चाहती हैं। मनीषा का परिचय इन दो शब्‍दों के गिर्द घूमता है - आजाद घुमक्‍कड़ी और बेखौफ लेखन।

एक

रेशम के दुपट्टे में टांकती हैं सितारा
  देह मल-मलकर नहाती हैं,
    करीने से सजाती हैं बाल
      आंखों में काजल लगाती हैं
  प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां.....


मन-ही-मन मुस्‍कुराती हैं अकेले में
  बात-बेबात चहकती
    आईने में निहारती अपनी छातियों को
    कनखियों से
      खुद ही शरमा‍कर नजरें फिराती हैं
  प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां.....


डाकिए का करती हैं इंतजार
  मन-ही-मन लिखती हैं जवाब
    आने वाले खत का
      पिछले दफे मिले एक चुंबन की स्‍मृति
        हीरे की तरह संजोती हैं अपने भीतर
  प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां.....


प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां
  नदी हो जाती हैं
    और पतंग भी
      कल-कल करती बहती हैं
        नाप लेती है सारा आसमान
          किसी रस्‍सी से नहीं बंधती
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां.....



 दो

प्‍यार में डूबी हुई लड़कियों से
 सब डरते हैं
 डरता है समाज
 मां डरती है,
पिता को नींद नहीं आती रात भर,
भाई क्रोध से फुंफकारते हैं,
पड़ोसी दांतों तले उंगली दबाते
रहस्‍य से पर्दा उठाते हैं.....
लडकी जो तालाब थी अब तक
  ठहरी हुई झील
  कैसे हो गई नदी
  और उससे भी बढ़कर आबशार
  बांधे नहीं बंधती
  बहती ही जाती है
    झर-झर-झर-झर।



 तीन

प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां
  अब लड़की नहीं रही
    न नदी, न पतंग, न आबशार....


प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां
  अकेली थीं
    अपने घरों, शहरों, मुहल्‍लों में
वो और अकेली होती गईं
  मां-पिता-भाई सब जीते
    प्‍यार मे डूबी हुई लड़कियों से
लड़कियां अकेली थीं,
     और वे बहुत सारे....
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियां
  अब मांएं हैं खुद
    प्‍यार में डूबी हुई लड़कियों की
    और डरती हैं
    अपनी बेटी के प्‍यार में डूब जाने से
    उसके आबशार हो जाने से........

Manisha Pandey's Poem "Pyar me Doobi Hui Ladkiyan"

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
ऐ लड़की: एक बुजुर्ग पर आधुनिकतम स्त्री की कहानी — कविता
अखिलेश की कहानी 'अँधेरा' | Hindi Kahani 'Andhera' by Akhilesh
समीक्षा: अँधेरा : सांप्रदायिक दंगे का ब्लैकआउट - विनोद तिवारी | Review of writer Akhilesh's Hindi story by Vinod Tiwari