जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से मेरा सामना
- भरत तिवारी
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से मेरा सामना पहली बार 2012 में हुआ. तब की बड़ी हसीन यादें हैं - वैसी जो कभी नहीं जातीं . अचानक ही प्रोग्राम बना था तब... और दीपक और मैं अलसुबह रवाना हो गए थे जयपुर के लिए, तारीख़ शायद 21 जनवरी थी. दो दिन रहे थे हम वहाँ और पहली दफ़ा गुलज़ार साहब से मुलाक़ात हुई थी, मुलाक़ात हुई भी ऐसे कि सलीम आरिफ़ भाई के दोस्त पवन झा भाई जो जयपुर के ही हैं और गुलज़ार साहब के बड़े क़रीबी हैं - वो उन लोगों में शामिल थे जो एक ख़ास प्रोग्राम, जिसमें गुलज़ार साहब का अपने उन चाहने वालों से मिलना तय हुआ था जो फेसबुक के 'जी- मित्र' ग्रुप से थे. अब समस्या ये थी की मिलने वालों के नाम पहले से ही तय थे (जिनमें हम नहीं थे) लेकिन सलीम भाई ने फ़ोन पर न जाने पवन जी से क्या कहा कि हमको जो तब तक चार लोग हो गए थे (दीपक धमीजा, शंशांक , नागेन्द्र और मैं) उस प्रोग्राम में जाने का टिकट (यानी परमिशन) मिल गया. तभी गायत्री से भी मिलना हुआ था. और भी बहुत दोस्त मिले थे... खूब मस्ती, हुल्लड़ और साहित्य मचाया था हमने. अब चार साल बाद वो समय याद आता है तो एक तरफ लगता है कि बहुत वक़्त हुआ और दूसरी तरफ - अभी कल ही की तो बात है... तस्वीरें तब भी उतरता था शायद वो शौक के परवान चढ़ने का शुरूआती दौर था - तब मेरा एसएलआर भी नया ही था - बहरहाल कुछएक तस्वीरें हैं जो आपसब से शेयर कर रहा हूँ ... और इस दफ़ा की तस्वीरों पर 'एक बिरहमन ने कहा है के ये साल अच्छा है' तो वो आगे-आगे.
कोशिश रहेगी की आपसे यहाँ #शब्दांकन पर #जेएलऍफ़ 2016 की बातें तस्वीरों के ज़रिये करता रहूँ.
मिलते हैं, तब तक आप ये तस्वीरें देखिये ...
कोशिश रहेगी की आपसे यहाँ #शब्दांकन पर #जेएलऍफ़ 2016 की बातें तस्वीरों के ज़रिये करता रहूँ.
मिलते हैं, तब तक आप ये तस्वीरें देखिये ...
Posted by Bharat Tiwari ...
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