चूकिए नहीं, फौरन पढ़िए यह पिता—पुत्र संवाद


जय माता दी!
जो इसे शेयर नहीं करेगा उसकी ट्यूब लाइट लुपलुपाती रहेगी। दिमाग़ की बन्द बत्ती खोलने के इस आसान तरीके का फायदा उठाने से न चूकें!


पिता — पुत्र संवाद

— अतुल चौरसिया

पुत्र —  आज हम भावुकता और रेटोरिक वाली बात नहीं करके, ठोस तथ्यों पर बात करेंगे। आपको मंजूर है?

पिता —  चलो ठीक है।

पुत्र —  क्या कांग्रेस और भाजपा में रत्ती भर का अंतर है?

पिता —  अटकते हुए। भाजपा देश के लिए सोचने वाली पार्टी

पुत्र —  भावुकता और शब्दजाल नहीं।

पिता —  (अटकते हुए) । ज्यादा तो नहीं है।

पुत्र —  आपको लगता है थोड़ा बहुत है।


पिता —  हां...

पुत्र —  चार साल में ऐसा क्या बदलाव आया आपके जीवन में जो पिछले 70 साल में देखने को नहीं मिला था। कोई एक बड़ा परिवर्तन...

पिता —  (सोचते हुए) आंय,… बांय...

पुत्र —  कुछ तो हुआ होगा कि आप इतने बड़े प्रशंसक हो गए। बिजली पहले से बेहतर हो गई, सड़क बदल गई, मंदिर बन गया, पाकिस्तान खत्म हो गया, आपका काम बिना रिश्वत के होने लगा, महंगाई कम हो गई, पेट्रोल 2014 की कीमत से कम हो गया। जीएसटी से आपका फायदा हो गया हो। नोटबंदी में आपका कुछ लाभ हुआ हो। कश्मीर में आतंकवाद खत्म हो गया हो, कुछ तो हुआ होगा। 

पिता —  महंगाई देश के लिए जरूरी है। अर्थव्यवस्था के लिए। 

पुत्र —  अर्थव्यवस्था छोड़िए। आप तो 2014 में मोदी का नामांकन करवाने बनारस गए थे।

पिता —  बदलाव धीरे—धीरे आता है। 70 साल में बर्बाद हो गया है देश। 

पुत्र —  फिर आप मोदी टाइप रिटोरिक बतिया रहे हैं। चार साल बहुत होते हैं। आप एक बड़ा बदलाव अपनी ज़िंदगी में गिना नहीं पा रहे हैं। अच्छा ये बताइए आप तो हर हफ्ते गंगा नहाते हैं। बनारस की कचड़पट्टी साफ हो गई। गलियां, गंगा का पानी साफ हो गया। 

पिता —  हमने गंगा नहाना छोड़ दिया है। 

पुत्र —  तो एक भी बड़ा बदलाव आपके दिमाग में नहीं आ रहा। 

पिता —  ऐसा नहीं है, बहुत कुछ हो रहा है। 

पुत्र —  फिर आप उड़ती—पड़ती बात कर रहे हैं। कभी आपने सोचा है इसकी मूल वजह क्या है। आपके और इस देश के ज्यादातर मध्यवर्ग के मन में मुस्लिमों के प्रति लंबे समय से दबी हुई घृणा है। आप सबको मोदी नायक लगता है इसलिए क्योंकि 70 सालों के आजाद भारत में आपको अकेला वही नेता मिला जिसने खुले आम मुस्लिमों को ठिकाने लगाने वाले बयान दिए। जिसने स्टेट के स्तर पर मुस्लिमों के नरसंहार को जायज ठहराया, उसका नेतृत्व किया। आपके मन में मुस्लिमों के प्रति घृणा का कीड़ा मोदी से संतुष्ट हो जाता है। इसलिए जैसे ही पूरे देश को पहला मौका मिला, आप जैसे लोगों ने मोदी को हाथों — हाथ लिया। विकास, और मजबूती जैसे शब्द आप लोगों ने अपनी मुस्लिम विरोधी भावना पर चकती — पैबंद लगाने के लिए इस्तेमाल किया है। इस देश की जनता बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक है। बीते 70 सालों में जब तक राजनीतिक नेतृत्व इस भावना को हवा नहीं देता था, सेकुलरिज्म के मूल्यों को पकड़े हुए था तब तक आप लोगों की भावनाएं दबी हुई थी। 

पिता —  पूरी दुनिया में किस कौम ने आतंक फैलाया हुआ है। 

पुत्र —  हम पहले ही बात कर चुके हैं कि तथ्यों के अलावा और कोई बात नहीं होगी।
(अतुल चौरसिया की फेसबुक वाल से/ ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES