भा ज पा कौ ड़े
प्रधानमन्त्री के पकौड़ा से शुरू हुआ सफर मुख्यमंत्री के पान ठेला होते हुए युवा नेता की पाकेटमारी के रास्ते अब अचार तक पहुँच गया है।
— एडव्होकेट पुष्पक बक्षी
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युवाओं को रोजगार मिल रहा है और इसलिए जेबकतरे भी जेब काट रहे हैं ... अभिलाष पांडे भाजयुमो अध्यक्ष |
अचार बनाकर बेचने से बड़ी मात्रा में नौकरियां पैदा हो रहीं है
ताजा मामला मध्यप्रदेश से है जहाँ केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पकौड़ा बनाने के बाद, अचार बनाने और बेचने का काम नौकरी का एक बड़ा स्रोत साबित हुआ है। शेखावत का कहना है कि अचार बनाकर बेचने से बड़ी मात्रा में नौकरियां पैदा हो रहीं है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह कहकर पहले तो प्रधानमंत्री के पकौड़ा वाले बयान को अपना समर्थन दे दिया और साथ ही सरकार से रोजगार की उम्मीद लगाये नौजवान बेरोजगारों की उम्मीदों पर करारा तमाचा मारा है।
अगर ऐसे बयानों का सिलसिला योंही ही चलता रहा तो कोई आश्चर्य नहीं होगा अगर कल कोई बीजीपी का नेता या मंत्री यह कह दे की जुआ सट्टा से भी भारी रोजगार उत्पन्न हो रहा है। आखिर कब तक बीजेपी के मंत्री और नेता शिक्षित युवा बेरोजगारों को रोजगार देने के स्थान पर ऐसे शर्मनाक बयान देते रहेंगे? 2014 में बीजेपी हर साल 2 करोड़ नौकरी का वादा देकर सत्ता में आई थी। जिसपर यह सरकार पूरी तरह से विफल रही और अब अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए, इस तरह के बयान देकर सरकार के नुमाइंदों द्वारा बेरोजगारों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया जा रहा है।
बाहर ठेला लगाकर पकौड़े बेच रहे आदमी को इंप्लायड मानेंगे या नहीं
सरकार और अपनी नाकामी को छिपाने के लिए इस प्रकार के बयान देने की शुरुआत भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही की थी… मोदीजी ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था, “बाहर ठेला लगाकर पकौड़े बेच रहे आदमी को इंप्लायड मानेंगे या नहीं?” प्रधानमंत्री ने यह बयान देकर रोजगार सृजन न कर पाने की अपनी नाकामियो को छिपाने की कोशिश की थी। मोदी जी के पकोड़े वाले बयान के समर्थन में सबसे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आये थे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पकौड़ा प्रकरण को आगे बढ़ाकर यह कहा था कि “बात उतनी हल्की नहीं है, जितनी लोग समझ रहे हैं!”.
बेरोजगारी का मुद्दा भी उतना हल्का नहीं जितना सरकार और बीजेपी के नेता समझ रहे है
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Photo: TRUPTI PATEL |
मोदीजी और अमित शाहजी को बताना चाहता हूँ कि बेरोजगारी का मुद्दा भी उतना हल्का नहीं जितना सरकार और बीजेपी के नेता समझ रहे है। क्या मोदीजी और अमित शाह खुद बेरोजगारी जैसे मुद्दे पर भी उतने ही गंभीर है? जितने गंभीर वो पकौड़े को लेकर है? इसके बाद तो इस प्रकार के बयान देने का बीजेपी के नेताओ में रिवाज सा बन गया: मोदी और शाह के पकोड़ा मन्त्र के बाद त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव ने बेरोजगारो को एक नई थ्योरी दे दी — मुख्यमंत्री महोदय ने कहा कि “युवा सालो तक सरकारी नौकरी की तलाश में लगे रहते है और अपनी जिंदगी के कई साल इसी तलाश में बर्बाद कर देते है…” उन्होंने कहा, “नौकरी के पीछे भागने की बजाय बेरोजगार युवा अगर पान की दुकान खोल लेते तो अब तक उनके बैंक में 5 लाख रुपये होते।“ मुख्यमंत्री जी यही नहीं रुके उन्होंने आगे यह भी कहा : “यहां दूध 50 रुपए लीटर है। कोई ग्रैजुएट है, नौकरी के लिए 10 साल से घूम रहा है। अगर वह गाय पाल लेता तो अपने आप उसके बैंक अकाउंट में 10 लाख रुपए तैयार हो जाते।“ और इन्ही दो थ्योरी के साथ ही मुख्यमंत्री महोदय ने 15 लाख का हिसाब भी दे दिया।
बयानों का यह सफर यही नहीं थमा प्रधानमन्त्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष के पकौड़ा मंत्र और, मुख्यमंत्री के पान ठेला की थ्योरी के बाद अब नम्बर आता है युवा मोर्चा के नेताजी का…युवा नेता जी के हिसाब से अब आपकी जेब कटना भी बीजेपी के द्वारा किया गया विकास का हिस्सा कहलायेगा। यह कहना है मध्यप्रदेश बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष का अभिलाष पांडे का…दरअसल उनकी एक सभा में बहुत लोगो की जेब कट गई, जिसपर दूसरे दिन प्रेस वार्ता में पत्रकारो ने सवाल किया। इस पर युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे ने कहा कि “जेबकतरे लोगों की जेब इसलिए काट रहे हैं क्योंकि लोगों की जेब में पैसा है, युवाओं को रोजगार मिल रहा है और इसलिए जेबकतरे भी जेब काट रहे हैं। जेब कटना भारतीय जनता पार्टी के द्वारा किए गए विकास की निशानी है।"
बीजेपी नेताओ में श्रेय लेने की इतनी जल्दी है की अभिलाष पांडे ने जेब काटने का श्रेय भी बीजेपी और प्रधानमंत्री को दे दिया। अगर युवा नेताजी के हिसाब से जेब कटना ही विकास की निशानी हैं तो नही चाहिए भाई ऐसा विकास! और उसके बाद केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री शेखावत जी का ताजा बयान दर्शाता है कि सरकार और बीजेपी बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दे को लेकर कितनी चिंतित है.
एडव्होकेट पुष्पक बक्षी
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(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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