ये कुर्सी हम नहीं छोड़ेंगे ... सर्वप्रिया सांगवान

ये कुर्सी हम नहीं छोड़ेंगे ...  सर्वप्रिया सांगवान



ये कुर्सी हम नहीं छोड़ेंगे ... 

सर्वप्रिया सांगवान

जो सरकार ख़ुद को ज़िम्मेदार मानती है, वही अपनी जनता को गंभीरता से लेती है
उसी जनता को गंभीरता से लिया जाता है जो अपनी सरकार से इंसानी ज़िन्दगी और मूल सुविधाओं को लेकर सही सवाल पूछती है.

लोगों को जब पाकिस्तान पर हमला करवाना होता है तो तुरंत कहते हैं कि उस देश ने घुस कर मार दिया, फ़लाँ देश ने वैसा कर दिया. ठीक है.

लेकिन दूसरे देशों के उदाहरण लोग तब क्यों नहीं देते जब 11 बच्चों के अस्पताल में मरने पर ट्युनिसिया  के स्वास्थ्य मंत्री ने इस्तीफा दे दिया.

जब सर्बिया के रक्षा मंत्री को अपने पद से हटा दिया गया क्योंकि उन्होंने महिलाओं को लेकर घटिया टिप्पणी की थी.

जब फ़िनलैंड की पूरी सरकार ने इस्तीफा दे दिया क्योंकि वो अपने देश में स्वास्थ्य की दशा नहीं सुधार पाए जो उनकी प्रमुख नीति थी.




जब ब्रिटेन की शिक्षा मंत्री को इसलिए इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि उन्होंने शिक्षा को लेकर अपने वादे पूरे नहीं किए थे.

जब फ्रांस के पर्यावरण मंत्री ने इसलिए इस्तीफा दे दिया क्योंकि उनके राष्ट्रपति पर्यावरण के लिए कुछ नहीं कर रहे थे.

जब जापान के वित्त मंत्री को रिश्वत के आरोप लगते ही इस्तीफा देना पड़ा था.

जब कनाडा में दो मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं क्योंकि केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार में फँसी फ़र्म को बचाने के आरोप लगे हैं.

इस्तीफा कोई हल नहीं है. लेकिन ये कम से कम तय करता है कि कोई सरकार ख़ुद को कितना ज़िम्मेदार मानती है. जो सरकार ख़ुद को ज़िम्मेदार मानती है, वही अपनी जनता को गंभीरता से लेती है. उसी जनता को गंभीरता से लिया जाता है जो अपनी सरकार से Human life और बेसिक सुविधाओं को लेकर सही सवाल पूछती है.

अगर ऐसा नहीं है ना कोई सही चुनाव है और ना सही लोकतंत्र है.
ये कुर्सी हम नहीं छोड़ेंगे ...  सर्वप्रिया सांगवान

(सर्वप्रिया सांगवान की फेसबुक वाल से साभार।)
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2 टिप्पणियाँ

  1. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति 92वां जन्मदिन - वी. शांता और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।

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  2. सरकार जिम्मेदार हो और जनता होशियार, तभी लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं

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