हिंदी में पीएचडी यशस्विनी पांडेय, बुद्ध के महापरिनिर्वाण भूमि कुशीनगर की जन्मी हैं. आजकल वडोदरा में रहती हैं. कविता…
पढ़ना है तो एक साँस में पढ़ें वरना नहीं सरकार बेटियाँ नहीं बचाती हैं — रवीश कुमार Shyam Jaju, Manoj Tiwari, Ram Rahim and Kailash…
स्त्रियों द्वारा अपनी अस्मिता का रेखांकन पुरुषों को “स्वभावतः!” बुरा लगता है। — सुमन केशरी Suman Keshari जब कोई स्त्री पुरुषों…
हम भारतीय परिवार चिमटे से पैसे को पकड़ते है और राजनीति में पैसा नहीं बल्कि समय निवेश करना पड़ता है और ऐसे में जब निवेशक एक महिला हो तो पारिवारिक द…
आत्महत्या और ज़िंदा लोग आशिमा हम ये सब बेशर्म आंखों से बर्दाश्त किये जा रहे हैं, और एक दिन जब इन्हीं में से किसी के आत्महत्या करने की खबर आत…
कम से कम एक दरवाज़ा सुधा अरोड़ा ( समाज में जो बदलाव हमें दिखाई दे रहे हैं, वे बहुत ऊपरी हैं. कहीं आज भी हम स्त्रियों को उनका अपेक्षित सम्मान…
नीरजा पाण्डेय की लेखनी बहुत सशक्त है, उनकी कहानियां, कवितायेँ पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं. स्त्री विमर्श को आगे बढ़ाने में उनके लेख हमेश…
आज भी औरत विवाह के ऐसे चक्रव्यूह में फसी है जिसके भेदन की कला उसके पास नहीं …