स्त्री विमर्श और आत्मालोचन मैत्रेयी पुष्पा इस शब्दयुग्म से बहुत से लोगों का साहित्यिक जायका कड़ुवा हो जाता है। अगर ऐसा अनुभव है तो यह कोई विचित…
आगे पढ़ें »बेमिसाल गज़लकार श्री प्राण शर्मा की गज़लों को चाहने वालों के लिए उनकी दो ताज़ा गज़लें घर - घर में खूब धूम मचाती है ज़िन्दगी क्या प्यारा - …
आगे पढ़ें »यह कैसी विडंबना कैसा झूठ है दरअसल अपने यहां जनतंत्र एक ऐसा तमाशा है जिसकी जान मदारी की भाषा है [ धूमिल ] मदारी का मायाजाल प्र…
आगे पढ़ें »“ बस, अब यह पाइन-ब्रुक वाला रास्ता ले लीजिए । ट्रैफ़िक - लाइट पर बांये, अगली ट्रैफ़िक – लाइट पर दांये, और इसी सड़क पर सीधे चलते जाओ जब तक कि……।” …
आगे पढ़ें »एक विचित्र चित्र शब्दों को सँजोता संवेदनशील मन की लड़ियों में रेखाएँ काढ़ता तूलिका साधता रंगों को करता संयोजित बना देता अनायास ही चित्र जो…
आगे पढ़ें »विदग्ध रंगमय आकाश में एक सलेटी चन्द्रमा मनोज कचंगल की कला में उपस्थित जिस तत्त्व ने मुझे शुरू से आकर्षित किया, वह है - विनम्र सादगी। मनोज के च…
आगे पढ़ें »हमारी स-प्रमाण गर्वोक्ति अशोक गुप्ता इस आलेख के आवेग में वरिष्ट विचारक अजित कुमार एवं अर्चना वर्…
आगे पढ़ें »काश कि पहले लिखी जातीं ये कविताएं - प्रियदर्शन एक वह एक उजली नाव थी जो गहरे आसमान में तैर रही थी चांदनी की झिलमिल पतवार लेकर कोई ता…
आगे पढ़ें »पेंशन का रिश्ता -अमिय बिन्दु दीपू की चीख सुनकर किरन की अचानक नींद खुल गई। समझ नहीं पाई, यह कोई सपना था या हकीकत। अधखुली आँखों…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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