बेमिसाल गज़लकार श्री प्राण शर्मा की गज़लों को चाहने वालों के लिए उनकी दो ताज़ा गज़लें
घर - घर में खूब धूम मचाती है ज़िन्दगी
क्या प्यारा - प्यारा रूप दिखाती है ज़िन्दगी
रोती है कभी हँसती - हँसाती है ज़िन्दगी
क्या-क्या तमाशे जग को दिखाती है ज़िन्दगी
कोई भले ही कोसे उसे दुःख में बार - बार
हर शख्स को ऐ दोस्तो भाती है ज़िन्दगी
दुःख का पहाड़ उस पे न टूटे ऐ राम जी
दिल को हज़ार बार रुलाती है ज़िन्दगी
खुशियो, न जाओ छोड़ के उसको कभी भी तुम
घर - घर में हाहाकार मचाती है ज़िन्दगी
ऐ `प्राण` कितना खाली सा लगता है आसपास
जब आदमी को छोड़ के जाती है ज़िन्दगी
ऐ दोस्त, रास आती हैं किसको बनावटें
चाहे रची - बसी हों कुछ उनमें सजावटें
हर आदमी का काम है उनको पछाड़ना
आती हैं जिंदगानी में ढेरों रुकावटें
कोशिश करो भले ही उन्हें तुम मिटाने की
मिटती नहीं हैं यादों की सुन्दर लिखावटें
रखना उन्हें संभाल के जब तक है दम में दम
मुख पर झलकती हैं जो ह्रदय की तरावटें
उनका असर ऐ दोस्तो किस पर नहीं पड़ा
अब तो विचारों में भी घुली हैं मिलावटें
जिस ओर देखिये तो यही आता है नज़र
बढ़ती ही जा रही हैं जहां में दिखावटें
ऐ `प्राण` इस की शान रहे ऊँची हर घड़ी
जीने नहीं देती कभी मन की गिरावटें
१३ जून १९३७ को वजीराबाद में जन्में, श्री प्राण शर्मा ब्रिटेन मे बसे भारतीय मूल के हिंदी लेखक है। दिल्ली विश्वविद्यालय से एम ए बी एड प्राण शर्मा कॉवेन्टरी, ब्रिटेन में हिन्दी ग़ज़ल के उस्ताद शायर हैं। प्राण जी बहुत शिद्दत के साथ ब्रिटेन के ग़ज़ल लिखने वालों की ग़ज़लों को पढ़कर उन्हें दुरुस्त करने में सहायता करते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि ब्रिटेन में पहली हिन्दी कहानी शायद प्राण जी ने ही लिखी थी।
देश-विदेश के कवि सम्मेलनों, मुशायरों तथा आकाशवाणी कार्यक्रमों में भाग ले चुके प्राण शर्मा जी को उनके लेखन के लिये अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं और उनकी लेखनी आज भी बेहतरीन गज़लें कह रही है।
5 टिप्पणियाँ
प्राण साहेब, दोनों ही गजले उम्दा है , पर पहली ग़ज़ल ने वाकई गज़ब ढा दिया है . ज़िन्दगी के सारे मायने आपने अपने शेरो में लिख दिया है .
जवाब देंहटाएंआपको सलाम .
विजय
ज़िन्दगी को सरलता से शब्दों में पिरो देना कोई प्राण शर्मा जी से सीखे ……सीधे सरल शब्दों में गहरी मार करती दोनों गज़लें ज़िन्दगी की हकीकतों से मिलवा देती हैं और हमें खुद से।
जवाब देंहटाएंलाजवाब -- बस यही एक लफ्ज़ है जो प्राण साहब की ग़ज़लें पढने के बाद ज़ेहन में आता है। ऐसी सरलता ग़ज़ल में अन्यत्र ढूंढना बहुत मुश्किल है . एक एक शेर कसा हुआ निहायत सादगी से पाठकों के दिल में उतर जाता है . जो लोग ग़ज़लों में मुश्किल उर्दू लफ़्ज़ों का प्रयोग करते हैं और मानते हैं के उनके बिना ग़ज़ल नहीं कही जा सकती उन्हें प्राण साहब की ग़ज़लें पढनी चाहियें। आपने उन्हें बेमिसाल ग़ज़ल कार का शीर्षक बिलकुल सही दिया है .
जवाब देंहटाएंप्राण साहब की इन दोनों बेमिसाल ग़ज़लों को हम पाठकों तक पहुँचाने के लिए आपका आभार.
नीरज
dono gajlon ko pad kar main abhubhut ho gayaa hoon esaa lagaa jaise ve hamse baat kar rahii hain -
जवाब देंहटाएंe "pran" kitna khaali sa lagta hai aaspaas
jab aadmi ko chhod kar jaati hai jindagee.
bahut hee shareshth gajlen hain,bahut-bahut badhai bhai pran jee ko.
जीवन की कुछ चुनिन्दा बातों को बाखूबी शेरों में ढाल दिया प्राण साहब ने ... ओर यही खासियत है इनकी गज़लों की जो हमेशा आकर्षित करती है ...
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